Best Kids Story in Hindi : हाथी को क्यों मिली सज़ा?
Kids Story in Hindi: Punishment for deceit
Kids Story in Hindi : बहुत समय पहले की बात है। सुंदरवन में बहुत से हाथी रहते थे। उनका मुखिया हाथी बड़ा दयालु, बुद्धिमान और गम्भीर स्वभाव का था परन्तु उसका पुत्र बड़ा ही शरारती और खुरापाती दिमाग का था। किसी का दर्द क्या होता है वह जानता ही नहीं था। उसे अपनी शक्ति पर बड़ा घमंड था। वह जंगल में दूर दूर तक आवारा घूमता और जंगल के पशु पक्षियों को नुक्सान पहुंचाता था।
एक बार वह घूमते घूमते जंगल से बाहर निकल आया। चारों ओर मैदान ही मैदान था। दोपहरी तप रही थी। गरमी और प्यास के कारण उसका बुरा हाल था। दूर दूर तक भी उसे कोई ऐसा पेड़ नजर नहीं आ रहा था जिसकी शीतल छाया में बैठकर आराम कर सके। भूख, प्यास और गर्मी के कारण उसे बहुत कमजोरी महसूस हो रही थी।
उसी रास्ते से एक मैना अपने बच्चों के लिये दाना-चुग कर अपने घोंसले की ओर लौट रही थी। उड़ते हुए उसकी दृष्टि बेचैन हाथी पर पड़ी। मैना बड़ी दयालु और परोपकारी थी। वह हाथी के पास आकर बोली ’गजराज! लगता है आप रास्ता भटक गये हैं।‘
’हां, तुमने बिल्कुल सही अनुमान लगाया। मैं रास्ता भटक गया हूं। जंगल दूर है। वापस लौटने की शक्ति भी मुझमें नहीं है। गरमी मुझसे सहन नहीं हो रही है। क्या तुम मेरी कुछ सहायता कर सकती हो?‘ हाथी ने मैना से कराहते हुए कहा।
हां, मैं तुम्हारी सहायता करती हूं। यहां से थोड़ी दूर ही एक सुन्दर सा बाग है। उसमें तरह तरह के फ़ल, फ़ूलों के पेड़ हैं, भगवान का मन्दिर है। उसके पीछे निर्मल जल से भरा एक सरोवर है। वहां विश्राम करके तुम्हारी थकान मिट जायेगी। थोड़े से फ़ल और शीतल जल तुम्हारे अंदर स्फ़ूर्ति भर देंगे। मैना ने कहा।
हाथी को मैना साथ लेकर बाग में आ गई
मैना उड़ते हुए हाथी को साथ लेकर बाग में आ गई। उसने हाथी से कहा ’गजराज, यही वह बाग है, यहां तुम्हारी सुविधा की सारी चीजें उपलबध हैं। तुम हमारे मेहमान हो। सरोवर का मीठा जल पीकर प्यास बुझाओ, सामने झोंपड़ी है। उसमें बाग का माली रहता है। यदि कुछ खाने की इच्छा हो तो उससे निवेदन करना। वह तुम्हें कुछ न कुछ अवश्य देगा।‘ मैना ने कहा-’इस पीपल के विशाल वृक्ष पर मेरा घोंसला है। मेरे छोटे बच्चे हैं। मेरी राह देख रहे होंगे। मैं चलती हूं।‘ कहकर मैना घाेंसले की ओर चली गई।
प्यासा हाथी (Kids Story in Hindi)
हाथी प्यासा था। वह सरोवर की तरफ़ चल पड़ा। उसने छककर पानी पिया और पीपल के पेड़ के नीचे आकर सो गया। मैना अपने घाेंसले में पहुंची तो भूखे बच्चे मां को देखकर चूं चूं करने लगे। बच्चों को भोजन कराते समय उसकी दृष्टि अपने छोटे और कमजोर बच्चे बिट्टू पर पड़ी। मैना घबरा गई। उसे तेज बुखार था। उसने बच्चों से कहा – ’देखो, बिट्टू बीमार है। तुम इसका ख्याल रखना‘ मैं वैद्यराज से दवा लेकर आती हूं।‘ कहकर मैना घोंसले से निकली और दवाई लेने उड़ पड़ी चलते समय उसने देखा कि थकाहारा हाथी पीपल के पेड़ के नीचे बेसुध सो रहा है।
दुष्ट की सहायता (Kids Story in Hindi)
मरीजाें की भीड़ अधिक होने के कारण मैना को दवाई लेकर आने में काफ़ी समय लग गया। जब वह दवाई लेकर पीपल के पेड़ के पास आई तो आस पास का दृश्य देखकर घबरा गई। उसे लगा जैसे कोई भयानक तफ़ूान आया और सब कुछ तहस नहस करके चला गया आस पास की झाड़ियां रौंदी हुई थी। पपीते, केले, लीची, आम, अमरूद के नये वृक्ष जो फ़सल देने को तैयार थे, उखड़े पड़े थे। मैना को देखकर सारे पक्षी इकट्ठे हो गये। उन्होंने बताया कि यह सब उस हाथी ने किया है जिसे तुम साथ लेकर आई थी। मैना को दुख हो रहा था कि उसने ऐसे दुष्ट की सहायता की।
मैना दौड़ी दौड़ी माली की झोपड़ी पर गई। उसने देखा, झोंपड़ी से कुछ दूर बेचारा माली भी बेहोश पड़ा हुआ था। मैना समझ गई कि दुष्ट हाथी ने उस पर भी प्रहार किया होगा।
मैना ने गुस्से में भरकर कहा – ऐसे दुष्ट को तो सज़ा मिलनी ही चाहिये।
पक्षियों ने एक स्वर में कहा – ”हम क्या कर सकते हैं? हम तो बहुत छोटे हैं। वह बड़ा और शक्तिशाली है।“
’तुम चिंता न करो। मैं आती हूं। कहकर वह उड़ गई।‘
मैना उड़कर सीधे जमींदार की हवेली पर आई। उस समय जमींदार अपने कक्ष में आराम कर रहा था। उसने द्वार पर खड़े चौकीदार से जमींदार से मिलने की आज्ञा मांगी। पहरेदार ने कहा – ’ठहरो, पहले मैं जमींदार साहब से अनुमति लेकर आता हूं।‘ जमींदार ने मैना से मिलने की अनुमति दे दी।
मैना ने जमीदार के कमरे मेे प्रवेश किया, वह हाफ़ं रही थी। रोते हुए मैना बोली – जमींदार जी, मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे भयंकर भूल हो गई। मैंने एक भूखे प्यासे और गरमी से झुलसते हुए, राह भटके हाथी को आपके बाग में आसरा दे दिया। जब सरोवर का शीतल जल पीकर उसकी प्यास शांत हो गई और वृक्षों की ठंडी छाया मिल गई तो वह उदंडता पर उतर आया। उसने भरे पूरे बाग को तहस नहस करके रख दिया। छोटे वृक्षों, लताओं और झाड़ियों को उखाड़ कर फ़ेंक दिया। चिड़ियों के अण्डे-बच्चे नष्ट कर दिये।‘
हाथी पर दया (Kids Story in Hindi)
जमींदार ने मैना की बात सुनकर शांत स्वर में कहा- ’मैना रानी, इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। तुमने तो हाथी पर दया करके उपकार ही किया था। किसी के माथे पर तो लिखा नहीं होता कि वह शरारती या मक्कार है। दुष्ट जहां भी जायेगा, दुष्टता ही फ़ैलायेगा। तुम चिन्ता न करो। मैं उसे ऐसी सज़ा दूंगा कि वह भूलकर भी कभी किसी का बुरा नहीं करेगा।‘
जमींदार ने पांच छः आदमियों को बुलाया और कहा- ’देखो, उस हाथी को किसी युक्ति से बाग के सूखे कुएं में गिरा दो। वह दस फ़ीट गहरा है। हाथी बगैर सहायता के बाहर नहीं निकल पायेगा। जब वह पांच छः दिन भूखा प्यासा रहेगा, उसकी अक्ल ठिकाने आ जायेगी।‘ मैना को भी जमींदार ने कुछ समझाया और कहा – ’जाओ, जैसा कहा है वैसा ही करना।‘
लालच (Story in Hindi)
जमींदार के आदमी बाग में पहुंचे। उन्होंने सूखे कुंए को पतली लकड़ियों, मिट्टी और घास फ़ूंस से ढक कर उस पर केले, पपीते, तरबूज़, खरबूजे और ककड़ियां आदि फ़ल रख दिये। उन्होंने मैना से कहा – ’जाओ तुम उड़कर पता लगाओ कि हाथी कहां छिपा है? तुम उसे लालच देकर यहां तक ले आना।‘
‘ठीक है। ‘मैना उड़कर हाथी को ढूंढ़ने लगी। उसने देखा, हाथी खा पीकर एक पेड़ के तले लताओं के झुरमुट में बैठा था। देखकर मैना बोली -गजराज! तुम यहां बैठे हो, मैंने तुम्हें कहां कहां ढूंढा है। मैंने तुम्हारी दावत के लिये तरह तरह के फ़लों का इंतजाम किया है। मेरे साथ आओ और छककर फ़लों का स्वाद लो।‘
हाथी सुनकर प्रसन्न हो गया, बोला- ‘कहां हैं स्वादिष्ट फ़ल? मैना ने उड़ते हुए कहा – ’आओ मेरे साथ‘। वह हाथी को लेकर सूखे कुंए के पास आ गई। बोली – ‘देखो – कैसे तरह तरह के स्वादिष्ट फ़ल हैं।‘
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हाथी के मुंह में पानी भर आया। जैसे ही झपट कर उसने फ़लों के पास पहुंचने की चेष्टा की, कड़कड की आवाज के साथ सब ढह गया और हाथी कुंए में गिर पड़ा, सभी इकट्ठे हो गये। चिड़िया चीं चीं करने लगी। हाथी कुंए में पड़ा चिल्ला रहा था – मुझे बचाओ।
मैना ने कहा – तुम दुष्ट हो, मक्कार हो। तुम जमींदार के अपराधी हो, अब वही तुम्हें सजा देगा।