Wristwatch : मोबाइल ने घटा दी कलाई घड़ी की लोकप्रियता

Wristwatch: Mobile has reduced popularity
Wristwatch: Mobile has reduced popularity

Wristwatch : समूची दुनिया में तेजी से हो रहे विकास और परिवर्तन के दौर में लोगों की जरूरतें भी बदल रही हैं। यही नहीं, इन जरूरतों को पूरा करने वाले साधनों में भी बदलाव देखा जा रहा है। मनुष्य की बदलती आवश्यकताओं में आज मोबाइल फोन भी शामिल हो गया है।

मोबाइल फोन ने जहां लोगों के बीच के फासलों को कम किया है, वहीं दूसरी ओर अनायास ही इसने लोगों की कलाइयां भी सूनी कर दी हैं। मोबाइल फोन धारक ज्यादातर लोग अब कलाई घड़ी बांधने की जरूरत नहीं समझते। यही कारण है कि आज अधिकतर लोगों की कलाइयां सूनी नजर आ रही हैं, क्योंकि लोगों को समय बताने वाली ’रिस्ट वाच‘ की जरूरत अब मोबाइल फोन पूरी कर रहे हैं।

कलाई घड़ी का शौक

कुछ लोगों द्वारा तो कलाई घड़ी केवल शौकिया ही बांधी जाती है। ऐसे लोग सिर्फ दूसरे को देखकर होड़ में घड़ी पहनते हैं लेकिन मोबाइल फोन के आविष्कार के बाद अब लोगों को समय देखने के लिए कलाई घड़ी पहनने की जरूरत नहीं महसूस होती। यही कारण है कि बाजार में आज जितनी मोबाइल फोन की दुकानें दिखलाई पड़ रही हैं, कभी उतनी ही घड़ियों की दुकानें हुआ करती थी।

’Wristwatch‘ का स्वर्णिम युग

हालांकि एक समय ’रिस्टवाच‘ का स्वर्णिम युग भी रहा है, जब रीको, सीको जैसी इलेक्ट्रोनिक्स घड़ियों ने बाजार में प्रवेश किया। ऐसे में जहां एचएमटी, टाइटन और टाइमस्टार मध्यम और उच्च वर्ग की कलाइयों की शोभा बढ़ा रही थीं, तो मात्र 20-25 से लेकर 100 रुपये तक कीमत वाली इलेक्ट्रोनिक्स घड़ियों ने उन कलाइयों को भी स्पर्श किया जो कीमती घड़ियों को नहीं खरीद पाने के कारण सूनी थीं।

ऐसी कलाइयों में छात्रों की संख्या सर्वाधिक थी, क्योंकि छात्रों में कलाई घड़ी पहनने का क्रेज बहुत अधिक होता है। उस वक्त रिस्ट वाच का व्यवसाय भारत में जोरों पर फल-फूल रहा था और लगभग हर कलाई पर किसी न किसी कंपनी की ’रिस्ट वाच‘ काबिज थी।

मोबाइल फोन

ठीक इसके विपरीत आज मोबाइल फोन मनुष्य के लिए बेहद आवश्यक वस्तु बन गया है। मोबाइल फोन ने समाज को विकास की एक नई दिशा दी है। यह सिर्फ बात करने का साधन मात्र ही नहीं रहा। अब तो इसमें एसएमएस, एमएमएस, एफएम, कैमरा और इंटरनेट जैसी नित नई-नई सुविधाएं भी जुड़ती जा रही हैैं।

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इसके माध्यम से लोगों को कहीं भी किसी भी समय दुनिया भर की जानकारी आसानी से उपलब्ध होती रहती है। इसीलिए मोबाइल फोन धारकों को अब एक-एक मिनट के टाइम की जानकारी रहती है। शायद यही कारण है कि मोबाइल फोन रखने वालों के लिए ’रिस्टवाच‘ अब अनावश्यक चीज बनती जा रही है।

’स्टेटस सिंबल‘ बनीं महंगी घड़ियां

इस संबंध में अधिकतर घड़ियों के विक्रेताओं का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में अभी भी कलाई घड़ी के उपभोक्ताओं में कोई खास कमी दर्ज नहीं की गई है, लेकिन शहरी और मेट्रोपोलिटन सिटी में घड़ियों की लोकप्रियता काफी घटी है। अगर कुछ लोग कलाई घड़ियां पहनते भी हैं तो इसे महज फैशन के लिए। कई लोग महंगी घड़ियां ’स्टेटस सिंबल‘ के लिए पहनते हैं। इन विक्रेताओं का भी कहना है कि मोबाइल के आने के बाद घड़ियां अब लोगों की जरूरत नहीं रह गई हैं।

दिल्ली के चांदनी चौक क्षेत्र में स्थित ’घड़ी घर‘ के मालिक कहते हैं कि आज की भागदौड़ की जिंदगी में सभी उपभोक्ता सुविधा भोगी हो गए हैं इसलिए निश्चित रूप से लोग मोबाइल की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। वैसे भी अच्छी व बांइेड घड़ियों की कीमत के बराबर तो अब मोबाइल मिलने लगे हैं और उनमें घड़ी के साथ-साथ तरह-तरह की सुविधाएं भी होती हैं।

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हालांकि ग्रामीण इलाके में घड़ियों के कारोबार करने वाले का कहना है कि यहां शादी-ब्याह में घड़ियां दिये जाने की रस्म अभी भी कायम है। इसे दहेज में दिए जाने वाली प्रमुख वस्तुओं के रूप में आज भी प्रमुखता से दिया जाता है। उनके मुताबिक यहां मोबाइल की पहुंच अभी शहरों की अपेक्षा कम है। इसलिए यहां कलाई घड़ियों की बिक्री में अभी मामूली कमी ही आई है।

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R. Singh

Name: Rina Singh Gender: Female Years Of Experience: 5 Years Field Of Expertise: Politics, Culture, Rural Issues, Current Affairs, Health, ETC Qualification: Diploma In Journalism
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