Family Values : बेटियाँ ही नहीं अब तो बेटे भी पराये होने लगे

Family Values: Not only daughters, now even sons have started becoming strangers.

Family Values: Not only daughters, now even sons have started becoming strangers.
Family Values: Not only daughters, now even sons have started becoming strangers.

Family Values : एक समय था जब कहा जाता था कि बेटियां पराई होती है लेकिन आज के समय में बेटे के लिए भी यह बात कहा जाए तो गलत नहीं होगा। कहने का मतलब यह है कि माता-पिता को बेटे की शादी के बाद उसके बदलेे व्यवहार और तेवर देखन को मिलने लगते है। और यह कटु सत्य है कि माता-पिता को बेटी के जुदा होने की इतनी पीड़ा नहीं होती जितनी पीड़ा बेटे के जुदा होने या उसके बदले व्यवहार से होती है।

बेटी की शादी के बाद कुछ पल के लिए दुख तो होता है पर माता-पिता के चेहरे पर उत्तरदायित्व निवर्हन करने का संतोष झलकता है। बेटी के माता-पिता के दिल में नए घर में बेटी के सुखी रहने की मंगल कामना रहती है। लेकिन बेटे को लेकर आजकल मामला बिल्कुल विपरित देखने को मिल जाता है।

लड़की के मां-बाप अच्छे लगने लगते हैं

आजकल बेटे के विवाह के पश्चात जब नई नवेली दुल्हन लेकर आता है तो सभी लोग उसे परिवार का सदस्य मानने लगते हैं। पर बाद में यह शिकायत सुनने को मिलती है कि बेटा तो ससुराल का ही होकर रह गया है। शादी के बाद बेटे को अपने माता व पिता से लड़की के मां-बाप अच्छे लगने लगते हैं। अपने खून के रिश्तो से वह दूर भागने लगता है। कहने का मतलब अपने बहन-भाई से ज्यादा वह सालियों और सालों से प्यार करने लगता है।

बेटे पराये होने लगे (Family Values)

कुल मिलाकर यह कहना गलत न होगा कि आज भारतीय समाज में जहां बेटियां पराया धन समझा जाती हैं वहां बेटे भी अब पराये होने लगे हैं। वैसे भी देखा जाए तो आजकल के बेटों से बेटियां सौ दर्जे अच्छी साबित हुईं हैं। बेटियों को कम से कम अपने मां-बाप के लिए दिल में इज्जत और सहानुभूति होती है।

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बेटे पर खोता भरोसा (Family Values)

बेटे पर खोते भरोसे के कारण आज के समय में मां-बाप को अपना बुढ़ापा भी असहाय लगता है। आज शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति होने के कारण कोई किसी के दबाव या अधिकार में जीवन जीने को बाध्य नहीं है। काफी कोशिश के बाद भी घर की चार आज बहू को दीवारी में कैद नहीं किया जा सकता। अगर ऐसी कोशिश कहीं होती है तो वहां बगावत हो जाती है।

बंधनों में बंधकर नहीं जीना जीवन

इस सदी में मर्यादा में रहकर या यूं कहे बंधनों में बंधकर जीवन बिताने में बहुओं को घुटन महसूस होती है। वे संयुक्त परिवार में रहने से परहेज करने लगती है। देखा जाए तो आज की शिक्षित बहू के पास पति को रिझाने की सभी कलाएं विराजमान होती हैं। वे जानती हैं कि अपने पति को किस प्रकार अपनी बात मनवा सकती है।

Family Values: Sons started becoming strangers
Family Values: Sons started becoming strangers

घर में तनाव का वातावरण (Family Values)

ऐसे में जब बेटा माता-पिता से विमुख होने लगता है तो उनके मन में बेटे के बदले व्यवहार का कारण बहू ही लगने लगती है। शादी के बाद बेटे के बदले व्यवहार के कारण वे खिन्न हो जाते हैं। वे किसी बहाने अपना गुस्सा बेटे या बहू पर उतारते हैं। माता-पिता का यह व्यवहार बेटे को पसंद नहीं आता है। और परिणामस्वरूप घर में तनाव का वातावरण पैदा हो जाता है।

बेटे पर भी पड़ता है माता-पिता के बदले व्यवहार का असर

माता-पिता के बदले व्यवहार का असर बेटे पर भी पड़ता है। वह प्यार और सहानुभूति की तलाश में भटक जाता है। फिर उसका आकर्षण पत्नी व अपने ससुराल की तरफ होने लगता है। प्रेम और सम्मान के आकर्षण में उसका खिंचाव व लगाव ससुराल की तरफ ज्यादा हो जाता है।

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बेटों के बदलते व्यवहार से कैसे निजात मिले

अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि बेटों के बदलते इस व्यवहार से कैसे निजात मिले। बूढ़े माता-पिता ऐसा क्या करें जिससे उन्हें इस समस्या का सामना न करना पड़े। तो इसके लिए जरूरी है कि आज के बजुर्गवार को अपने सुखमय एवं शांतिपूण्र भविष्य के लिए नए विचारों के साथ थोड़ा समझौता करने की कोशिश करनी होगी।

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बेटे सहित माता-पिता को भी अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। बेटे को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस नए रिश्ते में आज वे बंधे है उससे कहीं ज्यादा साल का रिश्ता उनके घरवालों के साथ है। आज वे जिस मुकाम पर हैं उनकी देन वही माता व पिता है जिनसे वे विमुख हो रहे है।

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R. Singh

Name: Rina Singh Gender: Female Years Of Experience: 5 Years Field Of Expertise: Politics, Culture, Rural Issues, Current Affairs, Health, ETC Qualification: Diploma In Journalism

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