Best Relationship : गहरा दर्द दे सकती है अपनों के साथ उदासीनता, जानें कैसे
Best Relationship: Indifference with loved ones can cause deep pain, know how

Best Relationship : वे मेरे मित्र थे। सुख दुःख सुनाया करते थे। आज वे दुःखी थे, वे अपने बेटे के घर से यात्रा कर लौटे हैं। वे मुझसे अपना दुःख कह नहीं पा रहे थे, पर थे निराश। मैंने जब उनके दर्द को कुरेदा तो वे बोले, ’बात कुछ ऐसी है कि आप समझ नहीं पाएंगे।’
मैंने कहा, ‘दुःख कह देने से दर्द हलका हो जाता है। आप कह डालिए, हुआ क्या?’
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वे बोले ‘मैं अपने पुत्र को सूचना देकर उसके नगर में गया। ट्रेन सुबह छह बजे पहुंची। मेरा पुत्र मुझे लेने ट्रेन पर उपस्थित था। मुझे ससम्मान वह घर ले गया। मैं जब घर पहुंचा तो घर अस्त व्यस्त था। मेरे बैठने के लिए जो गद्दा बैठक में रखा था, उसकी चादर अस्त व्यस्त व गंदी थी। ऐसा लगा कि मेरे आने की सूचना के बाद भी बैठक को व्यवस्थित नहीं किया गया था।
मैंने कहा, ‘इसमें दुःख की क्या बात है। आपका पुत्र आपको लेने टेªन पर आया, ससम्मान घर ले गया। स्पष्ट है, वह आपको आदर देता है। यदि गद्दा तकिया व्यवस्थित नहीं था, चादर गंदी थी तो आप कह कर बदलवा लेते। आप खुद अपनी बैठक व्यवस्थित कर लेते। आपके पुत्र का घर आपका भी तो घर था। उसे व्यवस्थित करने में शर्म क्या है। आप बेकार दुःखी हो रहे हैं।’
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मेरी बात सुन वे और दुःखी हो गए, बोले, ‘यही वह तर्क है जो मेरे बेटे ने दिया। उसने कहा इतनी छोटी बात पर नाराज होने का कोई कारण नहीं है। आप व्यर्थ इस बात को तूल दे रहे हैं। आजकल कोई इतना भी ध्यान नहीें देता।’
मेरे मित्र अभी भी दुःखी थे। वे बोले, ‘हमने अपना जीवन व्यवस्थित ढंग से चलाया। हमारे निवास पर यदि कोई भी आने वाला है, ऐसी सूचना मिलने पर हम अपनी बैठक को व्यवस्थित कर देते थे। इस व्यवस्थित करने की क्रिया में मुश्किल से दस मिनट लगते थे।
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स्थान को व्यवस्थित करने का अर्थ है कि घर पर आने वाले को निवास में प्रवेश करते ही प्रसन्नता हो। हम उस आनेवाले के आनन्द की चिंता करते हैं, हम उसे प्रेम करते हैं। जिन्हें हम प्रेम करते हैं, उन्हें सम्मान देने का यह एक परोक्ष मार्ग है। जब हम अपने निवास पर आने वाले व्यक्ति की परवाह नहीं करते तो यह सम्मान नहीं, अपमान करने जैसा है और पुत्र ही जब इसे छोटी बात बताए तो फिर तो हद हो गई।

अपमान के ढंग (Best Relationship Tips)
अपमान करने के लिए किसी व्यक्ति को अपशब्द कहना ही आवश्यक नहीं है। किसी व्यक्ति के लिए हमारा जो कर्तव्य है, उसका पालन न करना भी अपमान की परिभाषा में आता है। इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है। एक व्यक्ति आपके निवास पर आता है। आप उसे नहीं कहते ‘आइए, आइए‘। वह चुपचाप आपके कमरे में आ जाता है। यह उस व्यक्ति का अपमान है। जब कोई हमारे निवास पर आए तो उसे आने के लिए कहना हमारा कर्तव्य है। यदि कर्तव्य पालन नहीं करते तो यह अपमानजनक है।
इसलिए मित्र का कहना है कि कर्तव्य के प्रति उदासीनता भी तो अपमानजनक है। वे सेवानिवृत हैं और इसलिए अशक्त हैं। अशक्त व्यक्ति का दर्द बड़ा गहरा होता है और पुत्रा के हाथों में उदासीनता भरा अपमान तो असहनीय ही होता है।
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यहां एक प्रश्न और पूछा जा सकता है, ‘क्या हमारे वरिष्ठ अधिकारी के हमारे निवास पर आने पर भी हम अस्त व्यस्त कमरे में उनको आमंत्रित करेंगे?’ यदि थोड़ा सा लाभ प्राप्त करने के लिए हम अपने वरिष्ठ अधिकारी के स्वागत की भारी तैयारी करते हैं तो अपने परिवार के पूज्य वरिष्ठजनों के आगमन पर उदासीनता कैसे बरती जा सकती है। यदि ऐसा करते हैं तो एक दर्द का कारण बन जाएंगे।
परिजनों को सम्मान दें (Best Relationship Tips)
आपके परिजन आपके प्रिय शुभ चिन्तक हैं। वे आपके दुःख सुख के साथी रहे हैं और आपके साथ उनके अनेक बहुमूल्य अनुभव हैं। उनका अधिकार है कि वे आपसे प्रेम और सम्मान चाहें। आपके परिजन चाहे आपसे बहुत छोटे हैं, तब भी वे आपके परिवार के अंग हैं। अतः उन्हें भी सम्मान और प्रेम दें ताकि वे आप से मिल कर प्रसन्न हो।
यदि आपके पूज्य परिजन आपके पास आते हैं तो उन्हें पूर्ण आत्मिक सम्मान देना ही चाहिए। आप सम्मान दे रहे हैं, इतना ही पर्याप्त नहीं है। उन्हें लगना भी चाहिए कि आप उन्हें प्रेम दे रहे हैं। आपकी थोड़ी सी उदासीनता उन्हें गहरी टीस दे सकती है। क्योंकि अब वे अशक्त हो गए हैं अतः उन्हें लगता है कि आप जानबूझ कर उनके साथ उदासीनता बरत रहे हैं।
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ध्यान रहे, भीषण गर्मी में जो हमें शीतल जल प्रदाय करता है, उसे हम विस्मृत नहीं करते । हमारे पूज्यजनों ने हमारे लिए इससे अधिक कई बार हमें प्रेम से वह सब कुछ दिया है, जो हमें बाजार में कहीं नहीं मिल सकता इसलिए अपने परिवारजनों को पूर्ण सम्मान देने के लिए सतर्क व सावधान रहने की अतिरिक्त आवश्यकता है।