Digestive System (पाचन तंत्र) को सुधारने के बेहतरीन टिप्स
Digestive System: Best tips to Improve It

Digestive System Improve : अच्छा हाजमा व्यक्ति के अच्छे स्वास्थ्य का सीधा पैमाना है। आपका हाजमा ठीक है तो आप खुश रहेंगे व स्फूर्तिवान महसूस करेंगे। खुश रहने से आप अपने परिवारजनों, मित्रों व सहकर्मियों से मधुर सम्बन्ध बनाये रख सकते हैं। स्फूर्तिवान होंगे तो आप अपने घर, परिवार व काम की जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा सकते हैं।
कहने का तात्पर्य यह है कि अच्छा हाजमा आपके खुशहाल व कामयाब जीवन के लिए अति आवश्यक है। व्यक्ति को अधिकतर बीमारियां उसकी कमजोर पाचन क्षमता के कारण होती है। स्वास्थ्य का अच्छा या खराब होना बहुत हद तक आपकी पाचन क्षमता पर निर्भर होता है। इसलिये पाचन को दुरस्त रखना अति आवश्यक है।
बदहजमी (Indigestion) में क्या करें
ऐसी स्थिति में बहुत सरल और आसानी से उपलब्ध साधनों में से है नीबू व अदरक का पेय। इसके लिये एक चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच नींबू का रस लेकर मिलायें। एक गिलास में इस मिश्रण को डालें और इसमें सोडा की एक बोतल खोल दें। चीनी या नमक अथवा दोनों ही स्वाद अनुसार डालें।
यदि पेट साफ न होने की शिकायत हो तो दो-तीनय मुलायम तुलसी की पत्तियां धोकर एक ग्लास पानी में रात भर भिगोयें। सुबह सबेरे इस पानी को पियें। इससे आपका पेट साफ होगा। मल का पूरी तरह निकास होगा, जिससे आपको हल्कापन महसूस होगा। इस पानी से खून भी साफ होता है।
बदहजमी का एक अन्य अत्यन्त साधारण उपाय है आधा चम्मच अजबाइन। दानों को अच्छी तरह चबाकर पानी लें। एक ग्लास ताजा लस्सी भी ले सकते है। इसके लिये आधा कप दही लें, आधा चम्मच भुना जीरा, 4-5 करी पत्ता, अदरक को छोटे टुकड़ों में काटें और आधा कप पानी में मिलायें। मथ कर पियें।
पाचन (Digestive System) कैसे दुरस्त रखे
उपरोक्त दिये गये उपाय बदहजमी के लिये है परन्तु अच्छा यह होगा की हम बदहजमी जैसी स्थिति आने ही न दें। इसके लिये आवश्यक कि समय से भोजन करे और किसी भी खाने की वस्तु का लालच न करें। उतना ही खायें जितनी आपकी भूख व क्षमता हो। अपनी पंसदीदा वस्तु को देखकर अपनी इच्छा का साथ कतई न दें।
कोशिश करें कि भोजन (रात्री में) 8.00 से 8.30 के बीच कर लें। यदि सम्भव हो तो सोने के कम से कम दो घंटे पहले अवश्य भोजन कर लें। यदि सोने और रात्रि भोजन के बीच समय कम होगा तो पेट की गडबड़ी की सम्भावना उतनी ही अधिक होगी। ऐसे में गैस, जलन, कब्ज की शिकायत आम हो जाती है।
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कोशिश करें कि अपनी रसोई में 100 सौंफ (हल्की भुनी हुयी) जिसे बारीक पीसा हो और अजबाइन व चीनी में मिलाकर रख लें। दिन में कम से कम एक बार व रात्री भोजन के बाद अवश्य खायें। पाचन क्रिया ठीक रहेगी। सदियों में पाचन अच्छा रखने के लिये आधा चम्मच पिसी सौंठ को थोड़े से गुड़ में एक कप पानी के साथ उबाल लें। गरम-गरमय दिन में 2-3 बार पियें। एक कप गर्म पानी में दो चम्मच अदरक का रस और एक चम्मच शहद मिला कर पीने से भी आराम मिलता है।
जी मिचलाना
पेट में जलन व जी मिचलाने की स्थिति में 1-2 बड़ी इलाइची को थोड़ी सी चीनी के साथ चूसे बहुत आराम मिलेगा। ध्यान रहे बचाव इलाज से बेहतर है अतः ओवर ईटिंग से बचें।

योगमुद्रासन से Digestive System को रखें स्वस्थ्य
हमारी अधिकतम मानसिक व शारीरिक क्रियाएं नाड़ीतंत्र से जुड़ी होती हैं। कहने का अर्थ है कि हमारे नाड़ीतंत्र से प्रवाहित ऊर्जा पर ही हमारी मानसिक व शारीरिक शक्ति निर्भर करती है। यही कारण है कि नाड़ीमण्डल का स्वस्थ होना जीवन का सूचक है। इसीलिये योग विशेषज्ञ किसी भी यौगिक क्रिया के साथ-साथय योगमुद्रासन करने की सलाह देते है। चूंकि योगाभ्यास में यह मुद्रा अति महत्वपूर्ण है इससे इसका नाम योगमुद्रासन रखा गया है।
योगमुद्रासन करने की विधि
जमीन पर बिछे हुये आसन पर पद्मासन लगाकर दोनों हाथों को पीठ के पीछे ले जायें। बायें हाथ से दाहिने हाथ की कलाई पकड़ें। दोनों हाथों को खींचकर कमर तथा रीड़ के मिलन स्थान पर ले जायें।
अब सांस बाहर निकालकर अन्दर या बाहर सांस को रोकें। श्वास को रोके हुए ही शरीर को आगे झुकाकर भूमि पर टेक दें। फिर धीरे-धीरे सिर का उठाकर शरीर को पुनः सीधा कर दें श्वास को भीतर खीचें।
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शुरू-शुरू में यदि यह आसन मुश्किल लगे तो सुखासन या सिद्धआसन की मुद्रा मंें बैठ कर करें। परन्तु इस आसन से सम्पूर्ण लाभ तो पद्मासन की मुद्रा में बैठकर करने से ही होता है।
पाचनतन्त्र के अंगों की स्थान भ्रष्टता ठीक करने के लिए यदि यह आसन करते हो तो केवल पांच-दसय सेकन्ड तक ही करें, एक बैठक में तीन से पांच बार। सामान्यता यह आसन तीन मिनट तक करना चाहिये। आध्यात्मिक उद्देश्य से योगमुद्रासन करते हो तो समय की अवधि रूचि और शक्ति के अनुसार बढायें।
योगमुद्रासन के लाभ
योगमुद्रासन भली प्रकार सिद्ध होता है तब ही कुण्डलिनी शक्ति जाग्रत होती है। पेट के गैस की बीमारी दूर होती है। पेट एवं आंतों की सब शिकायतें दूर होती है। कलेजा, फेफड़े आदि तथा स्थान रहते हैं। हृदय मजबूत बनता है। रक्त के विकार दूर होते है। कुष्ठ और यौनविकार नष्ट होते हैं। पेट बड़ा हो तो अन्दर दब जाता है शरीर मजबूत बनता है।
मानसिक शक्ति बढ़ती है। योगमुद्रासन से उदरपटल सशक्त बनता है। पेट के अंगो को अपने स्थान में टिके रहने में सहायता मिलती है। नाड़ीतंत्र और खास करके कमर के नाड़ी मंडल को बल मिलता है।
इस आसन में सामान्यतया जहां एड़ियां लगती है। वहां कब्ज के अंग होते है। उन पर दबाव पड़ने से आंतो में उत्तेजना आती है। पुराना कब्ज दूर होता है। अंगों की स्थानभ्रष्टता के कारण होने वाला कब्ज भी, अंगों के अपने स्थान में पुनः यथावत स्थिति हो जाने से नष्ट हो जाता है। धातु की दुर्बलता में योगमुद्रासन खूब लाभदायक है।
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योग में कुछ आसन ऐसे होते है। जिनका अभ्यास करने से सम्पूर्ण शरीर लाभन्वित होता है। योगमुद्रासन इन्ही आसनों में से एक है। इस आसन को करने से शरीर का प्रत्येक अंग किसी न किसी रूप से लाभन्वित होता है। चूंकि इससे नाड़ीतन्त्र बलवान होता है, शरीर के हर अंग व हिस्से में नयी ऊर्जा का प्रवाह होता है जिससे अंग शक्तिशाली बनते हैं।
इस आसन को आप दिन के किसी भी पहर में कर सकते हैं। ध्यान रखने योग्य है कि आसन के पहले व बाद में दो घंटे तक खाने से परहेज करें।
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