True Rebirth Story : मध्यप्रदेश के स्वर्णलता की पूर्व जन्म की अनोखी कहानी
True Rebirth Story: Unique story of previous birth of Swarnalata of Madhya Pradesh
True Rebirth Story : अब पुनर्जन्म को विश्व के सभी बुद्धिजीवी और विचारक मानने लगे हैं क्योंकि पुनर्जन्म की घटनाएं सब देशों धर्मों, जातियों और संप्रदायों में घट चुकी हैं। ये सारी घटनायें परामनोवैज्ञानिकों ने जांच परख कर सही पाई हैं और उनको लिपिबद्ध कर लिया गया है।
पुनर्जन्म कर्मों को भोगने के कारण होता है। जब तक कर्मों का क्षय या लय नहीं होता, जन्म मरण होता रहता है। जिस घटना का मैं वर्णन कर रहा हूं वह अनोखी इसलिये है कि इसमें एक सम्पन्न, सुखी, पढ़ी लिखी और विदुषी महिला को जीवन भर अपने दो पूर्व जन्मों की पूरी याद बनी रही जबकि बहुधा एक जन्म की याद रहती है और वह भी आठ दस साल की आयु तक ही।
यह घटना मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले की है जहां 1948 में एक जिला शिक्षा अधिकारी के यहां एक लड़की ने जन्म लिया जिसका नाम स्वर्णलता मिश्र (Swarnlata Mishr) रखा गया। जब बच्ची साढ़े तीन साल की हुई तो उसने कहना शुरू कर दिया कि मेरा घर कटनी में है जहां मेरे माता पिता और चार भाई रहते हैं। तुम लोग मुझे वहां जाने दो।
उसने अपने पूर्व जन्म के पिता जो कटनी के एक प्रतिष्ठित जमीदार थे, और भाइयों के नाम, मकान का पता जो कटनी रेलवे स्टेशन के सामने है, की पूरी पहचान और भाइयों के नाम भी बताये। उसने अपना पहले का नाम विद्या पाठक बताया और कहा कि उसकी शादी मैहर में पांडेय परिवार में हुई थी जहां उसके दो बेटे और एक बेटी रहती हैं तथा उनके नाम भी बताये। उसने यह भी बताया कि उसकी मृत्यु 31 वर्ष की आयु में हृदयाघात से हुई थी।
पुनर्जन्म की स्मृतियों को सुनकर पिता रह गये चकित
बेटी की परत-दर-परत पुनर्जन्म की स्मृतियों को सुनकर पिता चकित रह गये। उन्होंने निश्चय कर लिया कि वह इन सब की सत्यता की पुष्टि करेंगे। समय निकाल कर बच्ची के पिता कटनी जा पहुंचे और खोजबीन की तो आश्चर्य चकित रह गये। बेटी द्वारा बताई गई सारी बातें अक्षरशः सच निकली। ऐसा ही मेहर में भी हुआ जहां उसके पूर्व जन्म के ससुरालीजन रहते थे।
तब उन्हें स्वीकार करना पड़ा कि यह सचमुच ही पुनर्जन्म का मामला है। यह सोच कर कि इन सब बातों को लेकर अफवाहों का दौर चल पड़ेगा, इसलिये उन्होंने इस मामले को सख्ती से दबा दिया और परिजनों से इस संबंध में किसी भी प्रकार की चर्चा करने से मनाही कर दी।
जब बच्ची छतरपुर में जहां उसके पिता का तबादला हो गया था, पाठशाला पढ़ने के लिये जाने लगी तो वहां अपनी सहपठियों को अपनी पूर्व जन्म की बातें बतलाने लगी। यह बात धीरे-धीरे पूरे शहर में फैल गई तो लोग इस अद्भुत बालिका को बड़ी उत्सुकता से देखने आने लगे।
जब तत्कालीन मुख्यमंत्राी प॰ द्वारिका प्रसाद मिश्र छतरपुर आये तो उन्होंने भी यह बात सुनी और बच्ची के घर पहुंच गये। उन्होने स्वर्णलता से मुलाकात की और कई सवाल किये जिस से वह संतुष्ट हुए। तब मुख्यमंत्राी ने राजस्थान के परामनोवैज्ञानिक डा॰ एच॰ बनर्जी को परीक्षण हेतु भेजा।
जांच के बाद डा॰ बनर्जी ने बताया कि यह पुर्नजन्म की सत्य घटना है और इस का कारण दिमाग में अतिरिक्त याददाश्त है जो धीरे-धीरे विस्मृत हो जायेगी। जब कटनी में स्वर्णलता के पूर्व जन्म के रिश्तेदारों ने सुना तो इसको मनगढ़ंत माना लेकिन सही घटना को कब तक नकारते।
सच्चाई जानने के लिये बच्ची का एक भाई छतरपुर अपनी पहचान छिपा कर उसके घर जा पहुंचा। उसने बच्ची के पिता से कहा कि वह इलाहाबाद से आया है और स्वर्णलता से मिलना चाहता है। उसी समय बच्ची जो मन्दिर गई हुई थी, वापस घर आई और मेहमान को देखकर चौक उठी और प्रसन्न हो कर बोली- अरे बाबू , तुम कब आये।
जब पिता ने कहा कि तुम इन्हें कैसे जानती हो, ये तो इलाहाबाद से आये हैं। स्वर्णलता ने कहा कि नहीं ये कटनी से आये हैं और मेरे बड़े भाई बाबू हैं। यह सुनकर बाबू ने जिसका नाम हरिहर प्रसाद था, बहिन के पांव छू लिये और सच को स्वीकार किया।
बच्ची ने भाई से समस्त परिवार वालों का हालचाल पूछा तथा कई ऐसी बातें भी पूछी जिन को केवल वह और हरि हर प्रसाद ही जानते थे। सब बातों को सुनकर उस को पूर्ण विश्वास हो गया कि स्वर्णलता उनके पूर्व जन्म की बहिन विद्या ही है।
True Rebirth Story : कटनी में Swarnlata ने स्वयं ढूंढा अपना घर
कुछ समय बाद जब पिता उसको लेकर कटनी गये तो स्वर्णलता ने अपने आप अपना घर ढूंढ लिया जबकि उससे पहले वह वहां कभी नहीं गई थी। वहां उसने अपने पिता तथा पूर्व जन्म के अन्य तीनों भाइयों को पहचान लिया। वह जैसे इनको भी पूर्वजन्म में संबोधित करती थी, ठीक वैसे ही किया जिसे देखकर सब को पूर्ण विश्वास हो गया कि विद्या ने ही स्वर्णलता के रूप में पुनर्जन्म लिया है। उसने अपने भाइयों से मैहर का हालचाल भी पूछा जहां उसकी पूर्वजन्म की ससुराल थी।
वहां का कुशल क्षेम जान कर वह बड़ी प्रसन्न हुई और मैहर जाने की जिद करने लगी। उस समय न ले जाकर बाद में पिता उसको मैहर ले गये। वहां भी उसने अपने पूर्व जन्म के पति को एक तीनों बेटे-बेटियों को पहचान लिया। उसने तीनों बच्चों को मां के समान प्यार किया। वे लोग भी उसको देखकर बहुत ही खुश हुए।
एक दिन जब स्वर्णलता 5 साल की थी तो वह असमिया भाषा में गाना गाने लगी और असमिया बोली बोलने लगी। पिता के पूछने पर उसने बताया कि उसका एक जन्म तो कटनी में हुआ था तथा एक जन्म आसाम के सिलहठ में हुआ। तब मेरा नाम कमलेश गोस्वामी था तथा मैं चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी।
True Rebirth Story : 8 साल की आयु में हो गई थी मृत्यु
उसने उस जन्म के मां बाप के नाम भी बताये और कहा कि तब उसकी मृत्यु 8 साल की आयु में कार दुर्घटना में हो गई थी जब वह शाला जा रही थी। बच्ची को आसाम की बोली, गीत एवं नृत्य आते थे जो गुजरते वक्त के साथ धुंधले होते चले गये लेकिन दूसरे जन्म की यादें रह गई थी और वह उस जन्म के स्वजनों से मिलने के लिये बेताब रहने लगी परन्तु वह क्षेत्रा देश के बंटवारे के साथ पूर्वी पाकिस्तान अब बंगला देश में चला गया जिस से उन लोगों से मिलना नहीं हो सका।
स्वर्णलता पढ़ने में बहुत होशियार थी। उसकी बुद्वि तीव्र थी। उसने एम. एस. सी वनस्पति शास्त्र में किया और पर्यावरण एवं प्रदूषण में पी. एच. डी. कर के वनस्पति शास्त्र की प्राध्यापिका हो गई। वह भाग्यवान भी थी। उसकी शादी एक उच्च अधिकारी से हो गई जो बाद में जिलाधीश हो गये। उसके दो बेटे हो गये और सुखी वैवाहिक जीवन मिला।
स्वर्णलता के केस की जांच वर्जीनिया विश्वविद्यालय यू. एस. ए. के परामनोचिकित्सा विभाग के संचालक प्रो॰ डा॰ इवान स्टीवेंसन ने की जिन्होंने विश्व में विभिन्न क्षेत्रों में पूर्वजन्म की लगभग 60 घटनाएं एकत्र की हैं। उन्होंने स्वर्णलता के पहले जन्म के बारे में पूरी छानबीन की और सही पाया। इन घटनाओं से एक बात स्पष्ट होती है कि लड़की सदा लड़की पैदा होती है और लड़का लड़का ही जन्म लेता है।
True Rebirth Story : स्वर्णलता तीनों जन्मों में लड़की पैदा हुई
स्वर्णलता तीनों जन्मों में लड़की पैदा हुई और उच्च ब्राहमण कुल में जन्मी। उसका पहला जन्म कटनी म. प्र. के प्रतिष्ठित पाठक परिवार में हुआ, दूसरा जन्म सिलहर आसम के प्रतिष्ठित गोस्वामी परिवार में हुआ और तीसरा वर्तमान जन्म टीकमगढ़ म. प्र. जिला के प्रतिष्ठित मिश्र परिवार में हुआ।
यहां जानें Newspaper और प्रिंट मीडिया का इतिहास
यह निश्चित नहीं है कि स्वर्णलता का आसाम वाले परिवार से जिस से मिलने को वह बड़ी बेताब रहती थी, संपर्क हुआ या नहीं। पूर्व जन्मों की यादें उन लोगों को रहती है जिन की मृत्यु किसी उत्तेजनात्मक आवेशग्रस्त मनःस्थिति में हुई है जैसे दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या, प्रतिशोध, कातरता, मोहग्रस्तता आदि। ऐसे विक्षुब्ध घटनाक्रम प्राणी की चेतना पर गहरा प्रभाव डालते हैं और वे उद्वेग नये जन्म में भी स्मृति पटल पर उभरते रहते हैं।
अधिक प्यार या अधिक द्वेष जिन से रहा हो, वे लोग विशेष रूप से याद आते हैं। भय, आशंका, अभिरूचि, बुद्धिमता, कला कौशल आदि की भी पिछली छाप बनी रहती है। आकृति की बनावट और शरीर पर जहां तहां पाये जाने वाले विशेष चिन्ह भी अगले जन्म में उसी प्रकार पाये जाते हैं।
Note : यह जानकारी इंटरनेट सर्च के माध्यम से संग्लित कर प्रेषित की जा रही, हम या हमारी टीम समाज में अंधविश्वास को बढ़ावा देने में कतई विश्वास नहीं रखती है। (This information is being compiled and transmitted through internet search. We or our team do not believe in promoting superstition in the society)
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