Health Tips for Children : जानें क्यों खेलना बच्चों के लिए है फायदेमंद

Health Tips for Children : जानें क्यों खेलना बच्चों के लिए है फायदेमंद

Health Tips for Children : अभी कुछ दिन पूर्व मैं अपने मित्रा दीपक के यहां गया। चूंकि उस दिन रविवार था। लिहाजा हमें बातें करने का अच्छा समय मिल गया था। हमें बातें करते करते पांच सात मिनट ही हुये होंगे। दीपक का आठ वर्षीय लड़का आलोक आ गया और दीपक से कहने लगा-’पापा, पापा हम खेलने जाएं।

उसका इतना कहना था कि दीपक तैश में आ गया और उसे अनाप शनाप डांटने लगा, ‘नालायक कहीं का, फिर चल दिया खेलने? पहाड़े याद कर लिये? होमवर्क कब करोगे … कभी अच्छे अंक आए हैं परीक्षा में? जब देखो, बस यह खेल ही खेल…।‘ पता नहीं, कब तक दीपक उसे डांटता, यदि मैं उसे चुप नहीं करा देता। बेचारा आलोक रूआंसा सा होकर घर के एक कोने में बैठकर पहाड़े याद करने लगा। मुझे यह देखकर बड़ा अटपटा सा लगा।

कहीं आप भी अपने बच्चों को खेलने (Health Tips for Children) से रोकते तो नहीं? यदि हां, तो निश्चित ही आप अनजाने में अपने बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में बाधक बन रहे हैं। यदि मां बाप अपने बच्चों को खेलने की अनुमति नहीं देते हैं तो बच्चों में अनेक स्थायी दोष मसलन कायरता, दब्बूपन, शर्मीलापन आदि अनायास ही व्याप्त हो जाते हैं।

इसका परिणाम यह निकलता है कि बच्चे में सहानुभूति, आत्म विश्वास एवं परस्पर सहयोग जैसी आवश्यक भावनाओं का विकास नहीं हो पाता। इससे बच्चे न केवल कक्षा में पिछड़ जाते हैं, बल्कि उनके स्वास्थ्य का विकास भी नहीं हो पाता। प्रख्यात मनोवैज्ञानिक ज्ञान ड्यूब का कहना है कि बच्चे स्वभाव से क्रियाशील होते हैं और क्रियाशीलता ही उनके जीवन का आधार है। स्पष्ट है, खेल ही बच्चों के जीवन का सार है। खेलों के माध्यम से वे भविष्य की तैयारी करते हैं।

शारीरिक और मानसिक विकास (Physical-Mental Development)

हालांकि खेलों के माध्यम से बालक का सर्वांगीण विकास होता है। इससे उसका शरीर सुदृढ़ बनता है तथा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। खेलों में चूंकि भागदौड़ होती है, लिहाजा इससे रक्त संचार ठीक रहता है एवं मांसपेशियां (Physical Development) भी मजबूत होती हैं।

अगर हम दूसरी तरफ देंखे तो बच्चों के मानसिक विकास के लिए भी खेल निहायत जरूरी हैं। खेल के द्वारा दूसरों के विचार और अनुभव ग्रहण करने की क्षमता बच्चों में स्वतः ही जागृत होती है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि जो बालक बचपन में जितना अधिक खेलता है, वह दूसरे बच्चों की अपेक्षा उतना ही अधिक अनुभवी होता है।

खेल बच्चे को अपने आस पास के वातावरण और घटनाओं को समझने में सहयोग देते हैं। खेल में ही बच्चों की रूचियां, मूल प्रवृत्तियां और भावनाएं शामिल होती हैं। बच्चे का लगातार विकासशील शरीर और मांसपेशियां अनेक क्रियाएं चाहते हैं। बच्चे में कुछ अतिरिक्त ताकतें संचित होती हैं, जिसे वह खेल कर भुनाता है। अच्छी खेल सुविधा व साधन के अभाव में और गैरजरूरी नियंत्राण से उसकी यह अतिरिक्त ताकत विध्वंसात्मक क्रियाओं में व्यय होती है। मसलन बर्तनों की तोड़ फोड़, बात बात पर रोना, बेबात जिद इत्यादि।

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सामूहिक भावना का विकास -Health Tips for Children

खेल अनुकरणात्मक सामाजिक क्रिया भी है। साधारणतया दो से पांच वर्ष तक के बच्चे के खेल व्यक्तिगत व मात्रा स्वयं तक ही सीमित होते हैं। बाद में ज्यों ज्यों बच्चे बड़े होते जाते हैं, उनमें अकेले खेलने की प्रवृत्ति कम होती जाती है तथा वे अकेले रहने की अपेक्षा हमउम्र बच्चों के साथ रहना और सामूहिक खेल खेलना अधिक पसंद करते हैं। चूंकि सामूहिक खेल आपसी व सद्भावना के उद्गम हैं, लिहाजा इनसे बच्चे दूसरों के साथ खेलते खेलते बहुत कुछ सीख जाते हैं।

बच्चा अपनी इच्छानुसार और पसंदीदा खेल अपनाता है। आप बच्चे के खेल में रूकावट नहीं बल्कि उसके सहायक बनिए। अपना मनपसन्द खेल खेलने से बालक की दिनभर की थकान और तनाव दूर हो जाता है। इससे उसमें एक नए उत्साह और उमंग से पढ़ने लिखने की भावना जागृत होती है।

’बच्चों को खेलने भी दें (Let The Kids Play Too)‘, इसके माने यह नहीं है कि आपका बच्चा सारे दिन खेलता ही रहे। यदि शुरू से ही बच्चे के खेल के लिए समय निर्धारित कर दिया जाये तो उत्तम रहता है। यदि आपका बच्चा खेलने में कम रूचि लेता है, तो उसे समझाकर कुछ देर खेलने के लिए प्रोत्साहित करना भी आपका दायित्व है।

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हां, इस बात की जानकारी अवश्य रखें कि कहीं आपका बच्चा अपराधी प्रवृत्ति के बच्चों के साथ तो नहीं खेल रहा ? यदि ऐसा है तो उसे ऐसे बच्चों के साथ खेलने से रोकें क्योंकि इससे आपका बच्चा बिगड़ सकता है। यदि आप अपने बच्चों का व्यक्तित्व प्रखर करना चाहते हैं तो उन्हें खेलने भी दें।

बच्चों के स्वास्थ्य के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव (Health Tips for Children )

  • संतुलित आहार: बच्चों को पूरे और संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। फल, सब्जियां, दालें, अनाज और दूध जैसे पोषणपूर्ण आहार को शामिल करें।
  • अच्छी और पूरा नींद: बच्चों को रात को 8-10 घंटे की नींद जरूरी है। अच्छी नींद उनके उत्थान और शारीरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • व्यायाम: बच्चों को दिन में कम से कम 1 घंटे तक उत्साही व्यायाम करना चाहिए।
  • स्वच्छता: हाथों को समय-समय पर धोना और साफ रखना, खासकर खाने से पहले, बहुत महत्वपूर्ण है।
  • वैक्सिनेशन: बच्चों को उनकी आयु के अनुसार टीकाकरण करवाना चाहिए। यह समय-समय पर होने वाले टीकाकरण के अपडेट को भी शामिल करता है।
  • ताजगी: बच्चों को ताजगी भरे वातावरण में रखना चाहिए। खुली हवा में खेलना और पारिवारिक घुमने जाने का समय देना चाहिए।
  • शिक्षा: उन्हें स्वस्थ जीवनशैली के महत्व के बारे में शिक्षित करें, और उन्हें फल-सब्जियों के लाभ के बारे में जागरूक करें।
  • तंग न करें: उनकी सोचने की क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए उनकी रुचियों और दृष्टिकोणों का सम्मान करें।
  • नियमित चेकअप: बच्चों को नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाकर अच्छे स्वास्थ्य की जांच करवानी चाहिए।
  • पानी पीने के लिए प्रेरित करें: उन्हें रोजाना पानी पीने के लिए प्रेरित करें, ताकि उनके शरीर का पोषण सही रहे।

ध्यान दें कि ये सुझाव आम जानकारी के आधार पर दिए जा रहे हैं। बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े विशेष चिकित्सा सलाह के लिए उनके चिकित्सक से संपर्क करें।

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R. Singh

Name: Rina Singh Gender: Female Years Of Experience: 5 Years Field Of Expertise: Politics, Culture, Rural Issues, Current Affairs, Health, ETC Qualification: Diploma In Journalism

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