Health Tips : जानें आखिर क्यों होती हैं डायबिटीज, डिप्रेशन जैसी बीमारियां
Health Tips: Know why diseases like diabetes and depression occur

जितने हम स्वास्थ्य संबंधी जागरूक हो रहे हैं उतनी ही बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। पहले समय में भी यही बीमारियां होती थी परन्तु तब बीमारी को जांचने परखने के लिए इतनी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं। लोग डॉक्टरों के पास तो बहुत कम जाते थे। बस कुछ घरेलू उपचार कर लेते थे या फि़र हकीम, वैद्योें के पास चले जाते थे जो नब्ज़ देखकर कुछ जड़ी बूटियों से बनी दवाइयां उनको दे देते थे।
आज के युग में ऐसा नहीं है। हर बीमारी के स्पेशलिस्ट डॉक्टर उपलब्ध हैं। हमें अपनी आम बीमारियों के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। तभी हम डॉक्टरों से परामर्श ले सकते हैं। आज के मशीनी युग में और रहन-सहन के तरीकों ने हमारे शरीर को बहुत सी बीमारियों का घर बना लिया है। घरों में आधुनिक उपकरणों के होने से महिलाएं न तो झाड़ू, पोंछा स्वयं करती हैं, न कपड़ों को हाथ से धोती हैं, गैस उपलब्ध होने पर खड़े-खड़े रसोई के काम निपटाना व मिक्सी का उपयोग छोटे-छोटे कामों में लाने से कुछ बीमारियां तो स्वयं बुलाई हुई हैं।
कुछ वंशानुगत बीमारियां हैं जो शुरू से शरीर में होती हैं या किसी भी उम्र में चुपके से घर कर लेती हैं और पता ही नहीं चलता। पुरूषों ने भी चलना फि़रना कम कर दिया है। अधिकतर बड़े शहरों में यातायात संबंधी परेशानियों से बचने के लिए साइकलों की जगह स्कूटर और कारों ने ले ली है। यातायात के साधनों में बढ़ोतरी से भी कई बीमारियां फ़ैलती जा रही हैं।
खानपान के तरीकों में बदलाव आने से भी नई-नई बीमारियां फ़ैल रही हैं। चाइनीज़ फ़ूड और फ़ास्ट फ़ूड खाने की समस्याओं को आसान तो करते हैं परन्तु इनमें तेल अधिक होने से इनके सेवन से मोटापा, सिरदर्द और कब्ज तो आम समस्या बन चुकी हैं। कब्ज़ तो अधिकतर कई बीमारियों की जड़ है।
बीमारी का ज्ञान होते ही उसके लक्षणों को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर से समय पर परामर्श करें और उनके कहे अनुसार जो परीक्षण आवश्यक हैं ज़रूर करवा लें। रिपोर्ट आने पर डॉक्टर से मिलकर उचित दवाओं की जानकारी लें और इलाज करवाएं। लापरवाही से कुछ भी हो सकता है। कुछ आम बीमारियों को लक्षणों के अनुसार जानिए। उसे रोकने के लिए पहला कदम क्या उठाना चाहिए। इस बारे में जानकारी होना अति आवश्यक हैः-
डायबिटीजः-
यह बीमारी अधिकतर वंशानुगत है। यदि घर में मां को यह बीमारी है तो बच्चों को इस बीमारी का खतरा अधिक है। पिता की इस बीमारी से बच्चों को इसका खतरा कम है। डायबिट़ीज में रोगी के खून में शूगर की मात्र बढ़ जाती है।
लक्षणः- ऐसे में लगातार प्यास बढ़ जाती है। बार बार काफ़ी पेशाब आने लगता है। हर समय थकान महसूस होती हैं जबकि भूख बढ़ जाती है और वज़न कम होने लगता है। स्त्रियों में योनिस्राव बढ़ जाता है। खुजली और चर्मरोग बहुत लंबे समय तक ठीक नहीं होते।
इसके लक्षण दिखाई देने पर ‘यूरिन’ और ‘खून’ में शक्कर कितना है, इसकी जांच करवा लेनी चाहिए। रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर से परामर्श करके जरूरत होने पर इलाज शुरू करवायें। वजन कम रखें। खाने में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन, कम चिकनाई तथा रेशे से भरपूर चीज़ों का इस्तेमाल करें। लहसुन, प्याज़ और मेथी का भरपूर सेवन करें। डायबिटीज़ रोग में गठिया की बीमारी को और बढ़ावा मिलता है। पित्ताशय में पथरी का निर्माण होता है, दांतों में सड़न पैदा होती है। महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बना रहता है।
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डिप्रेशनः-
डिप्रेशन अधिकतर उदास रहने वाले लोगों को अधिक होता है। डिप्रेशन से स्वयं को बचाने के लिए हमेशा अपने को व्यस्त रखें। तन्हाई से दूर रहें। मन में उठने वाले भावों को दबायें नहीं। यदि कभी रोने का मन करे तो रोकर अपना मन हल्का करें। डिप्रेशन से बचने के लिए व्यायाम करते रहें। फि़र भी लगातार दो सप्ताह तक मन उदास रहे, सुस्ती महसूस हो, नींद भी न आए, खाना खाने में दिलचस्पी न रहे, सेक्स में भी रूचि न रहे तो ऐसे में मनोचिकित्सक से संपर्क करें। डिप्रेशन एक बीमारी है। इसका इलाज अवश्य करायें।

आर्थराइटिसः-
इस बीमारी में जोड़़ों में सूजन, जकड़न तथा रेंगने वाला दर्द रहता है। यदि आपकी फ़ैमिली हिस्ट्री है तो खतरा और अधिक हो जाता है। इस बीमारी से इंसान पूरी तरह कमजोर बन जाता है। इसकी तकलीफ़ विशेष तौर पर रीढ़, घुटनों, गर्दन तथा नितम्बों में रहती है।
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इससे अपना बचाव करने के लिए रहन-सहन और खान-पान के तरीकों में तबदीली लानी होगी। खाने में रेड मीट, दूध से बने पदार्थ, मक्खन, पेस्ट्रीज़, पीज़ाज़, मिठाइयों आदि का परहेज़ रखें क्योंकि इनमें संतृप्त वसा होने के कारण शरीर में सूजन बढ़ती है। अपना वज़न नियंत्रण में रखें ताकि जोड़ों को वजन कम उठाना पड़े। विटामिन ‘सी’ का सेवन करें क्योंकि यह कार्टिलेज को लचीला बनाने में सहायता देता है।
Disclaimer : इसे चिकित्सकीय सलाह का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने इलाज करने वाले चिकित्सक से परामर्श लें।