Health and VastuTips : जानें टूटे-फूटे बीमार मकान से फैलने वाले रोगों के बारे में
Health and VastuTips: Know about the diseases spread by dilapidated houses.

मरम्मत, साफ, सफाई एवं रंग रोगन का बड़ा महत्त्व है। साफ सुथरा घर लोगों को स्वस्थ रखता है किंतु यदि घर टूटफूट, गंदगी, सीलन, नमी व बदरंग दीवारों जैसी दुरावस्थाओं के चलते बीमार है तो इस बीमार घर के प्रभाव से वहां रहने वाले भी स्वस्थ न रहकर बीमार रहेंगे।
सबके जीवन में साफ-सफाई का विशेष महत्त्व है। इसके बिना स्वच्छ वातावरण में तथा स्वच्छ तन-मन के साथ रहने की कल्पना नहीं की जा सकती किंतु सब के घर में बहुत से ऐसे परिजन रहते हैं जो इस ओर ध्यान नहीं देते कि पूरे घर को स्वच्छ रखना चाहिए। इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि हम वहां अपने जीवन का अधिकांश समय गुजारते हैं। खाते-पीते सोते, पढ़ते-लिखते आदि सब है। इसी घर में तो उसमें रहने वालों का अधिकांश खास समय गुजरता है।
सभी वातावरण में रोगाणु मौजूद होते हैं जो साफ-सफाई के मामले में थोड़ी सी लापरवाही होते ही मनुष्य पर धावा बोल देते हैं और उसे बीमार कर देते हैं। घर को साफ रखने से वहां रहने वाले मनुष्यों का मन भी स्वच्छ रहता है इसीलिए सफाई में थोड़ी सी भी ढिलाई नहीं बरतनी चाहिए। जिस कमरे में आप रहते हैं वहां की वस्तुए भी व्यवस्थित रूप से रखी जानी चाहिए। ऐसा न हो कि वस्तुएं इधर-उधर बिखरी हों। ऐसा रहने पर हमारे मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वस्तुएं अच्छी साफ रखी जानी चाहिए
कमरे में रखी अलमारी, कुर्सी, मेज और अन्य वस्तुएं अच्छी साफ रखी जानी चाहिए। पढ़ने वाले विद्यार्थी अधिकतर अपने अध्ययन कक्ष या उस स्थान पर कापी किताबों को इधर-उधर बिखरी हुई छोड़ देते हैं जिनसे उनके मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कमरे में वस्तुओं को व्यवस्थित रूप से साफ-सफाई के साथ रखने से व्यक्ति में अनुशासन प्रियता बढ़ती है, साथ ही उसका तन-मन भी स्वस्थ रहता है।
सफाई नहीं होने से घर में रोगाणु पैदा हो जाते हैं
साफ-सफाई नहीं होने से घर में रोगाणु पैदा हो जाते हैं जो मनुष्य को बीमार कर देते हैं। वहां वस्तुओं में जमी धूल व गंदगी के कारण व्यक्ति जहां एलर्जी की चपेट में आ सकता है, वही रोगाणु उसके शरीर में प्रवेश कर उसे कई तरह की बीमारियां दे सकते हैं।
बीमार घर के लक्षण
घर का साफ-सुथरा न होना, चीजें अव्यवस्थित होना, मकड़ी के जाले युक्त छत व दीवारें, बदरंग छत व दीवारें, प्लास्टर उखड़ी दीवारें, सीलन व नमी, धूल व दुर्गंध वाला वातावरण, गंदे फर्श, गंदे बाथरूम, गंदे टायलेट आदि सब बीमार घर के लक्षण हैं। ये वहां रहने वाले लोगों में बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। बीमार घरों में रोगाणुओं एवं जीवाणुओं का वास होता है जो मौका मिलते ही वहां रहने वाले लोगों को बीमार कर देते हैं।
बीमार मकान से मनुष्य को फैलने वाले रोग
बीमार घर अस्थमा, एलर्जी, खांसी, तनाव, श्वांस रोग, खुजली, मलेरिया आदि को बढ़ाते हैं। ऐसे घरों में रहने वाले को आंख नाक और गले में जलन होती है। सूखी खांसी व मतली आती है। त्वचा में सूखापन व खुजली होती है। एकाग्रता में कमी आती है। तनाव व थकान बढ़ता है। दमे के बार-बार दांेरे पड़ते हैं।
सामान्य व्यक्ति भी यहां दमे की चपेट में आ जाता है। श्वास नली में सूजन होती है। व्यक्ति अवसाद से घिर जाता है। बीमार घरों में कीड़े मकोड़े, मक्खी, मच्छर, मकड़ी, तिलचट्टे आदि करा बसेरा होता है। उनकी आबादी व उनसे बीमारियां बढ़ती हैं। ये नाना प्रकार की बीमारियों के संवाहक हैं जो उनके काटने व बैठने से फैलती हैं।
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स्वस्थ घर निरोगी व स्वस्थ रखता है
घर को बीमार होने से बचाने एवं वहां रहने वाले को स्वस्थ रखने के लिए अपने यहां होली, दीपावली में पूरे घर की मरम्मत करने, साफ-सफाई एवं रंगरोगन कर नया करने की परम्परा है। साफ-सुथरे सुघड़ सुव्यवस्थित घर में स्वास्थ्य का बसेरा होता है। स्वस्थ घर वहां के मनुष्य को भी निरोगी व स्वस्थ रखता है।
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टूट फूट की मरम्मत व रंग रोगन
दैनिक स्नान व अपनी सफाई की ही तरह घर की भी प्रतिदिन प्रातः सफाई की जानी चाहिए। सभी कमरों, कक्षों, बाथरूम, टायलेट, वाशबेसिन, सिंक, बिस्तर, टेबल, कुर्सी, सोफा, दरवाजा, खिड़की की सफाई करनी चाहिए। सप्ताह में एक बार अल्मारियों, दराजों, मकड़ी जाला आदि की सफाई करनी चाहिए। वर्ष में एक दो बार सभी टूट फूट की मरम्मत व रंग रोगन करनी चाहिए। इसी को ध्यान में रखकर होली व दीवाली में इस परम्परा को जोड़कर रखा गया है जो अब तक प्रचलन में हैं।