Awareness Tips : आखिर किशोरों में क्यों घुल रहा है कामुकता का ज़हर
Awareness Tips: Why is the poison of sexuality spreading among teenagers?
Awareness Tips : आज के समय में रेप और मर्डर अब रोज़ की बात बन गई है। युवाओं, प्रौढ़ों और वृद्धों तक में बलात्कार की घिनौनी प्रवृत्ति इस कदर पनप रही है कि आये दिन पत्रा पत्रिकाओं में भिन्न-भिन्न प्रकार से बच्चियों, किशोरियों, प्रौढ़ाओं और वृद्धाओं के साथ तक बलात्कार की घटनाओं के समाचार छपते रहते हैं।
आज समाज में अश्लीलता की अपसंस्कृति इस सीमा तक पहुंच गई है कि शिक्षित और सभ्य परिवारों के बच्चे इस दलदल में धंसते चले जा रहे हैं। पब्लिक स्कूलों के बच्चे तो पाश्चात्य रंग में इतना अधिक रंग चुके हैं कि वे कच्ची उम्र में सेक्स रूपी वर्जित फल का स्वाद चखने के लिये लालायित रहते हैं। सेक्स और नशा उनकी नज़र में एन्जायमेन्ट का एक साधन मात्रा है।
हम शिक्षित हो जितनी तेज़ी से प्रगति के रास्ते पर बढ़ रहे हैं, उतनी ही तेज़ी से हम असभ्य और जंगली होते जा रहे हैं। बलात्कार की घटनाओं का रूप दिनों दिन विराट होता जा रहा है। मनुष्य की अंतरात्मा इतनी मर चुकी है कि छोटी उम्र की अबोध और मासूम बच्चियां, जिनकी बाल भाव भंगिमाएं देखकर ही प्यार उमड़ पड़ता है और उन्हें गोद में लेकर प्यारने दुलारने को बरबस मन कर उठता है, उन्हीं के साथ वहशी बनकर दुष्कर्म जैसा घृणित और अक्षम्य अपराध करने से भी नहीं चूकते।
कारण:- जहां लोगों का रहन-सहन विलासितापूर्ण होता जा रहा है, वहीं आचार विचारों में भी भारी उथल पुथल और परिवर्तन होता जा रहा है। पाश्चात्य सभ्यता का प्रभाव हमारी अपनी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को बिल्कुल नष्ट कर रहा है। तामसिक खान-पान का प्रचलन इतना अधिक बढ़ गया है कि वह मन मस्तिष्क को दूषित करने लगा है। कहावत है कि जैसा खाय अन्न, वैसा होय मन।
मुख्य रूप से नादान बच्चों को अश्लीलता की अपसंस्कृति की दलदल में फंसाने का सबसे अधिक काम तो इंटरनेट, देशी विदेशी टी. वी. चैनल, केबल कंपनियां, ब्लू फिल्मों के सी. डी. निर्माता और अश्लील साहित्य का प्रकाशन करने वाले लोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। देश, समाज और नई पीढ़ी के चरित्रा निर्माण की उन्हें कोई परवाह नहीं। बस जैसे भी हो, धन आना चाहिये।
मासूम बालिका से दुष्कर्म करने वाले उपरोक्त तीन आरोपियों ने इस बात को स्वीकार किया है कि वे ब्लू फिल्में देखते थे, जुआ खेलते और नशा करते थे। इन किशोरों के मानस पटल पर टी. वी. चैनलों, ब्लू फिल्मों और बढ़ती हुई अश्लीलता (TV channels, blue films and increasing obscenity) ने किस कदर प्रभाव डाला है, यह इस वारदात से स्पष्ट हो जाता है। फिल्मी स्टाइल में बालिका को घर से बुलाकर एकांत में उसके साथ दुष्कर्म करना इसी बात का एक पुष्ट प्रमाण है।
यह तो मानना पड़ेगा कि ब्लू फिल्मों के संभोगरत और भोंडे दृश्य देखकर किसी के भी गरम खून में उबाल आ सकता है। काम वासना जब अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है तो व्यक्ति कामोन्माद (पागलपन) की स्थिति में आकर विवेक शून्य हो जाता है और अपराध कर बैठता है। उस समय वह यह भूल जाता है कि इस कुकृत्य का सामाजिक और कानूनी परिणाम क्या होगा?
कंप्यूटर और इंटरनेट की भूमिका (Awareness Tips)
आधुनिकता का पर्याय बन चुके कंप्यूटर और इंटरनेट की भूमिका भी इस बुरे काम में, किशोरों को फंसाने के लिये, कुछ कम नहीं है। कंप्यूटर के माउस पर एक क्लिक करने से ज्ञान का नया संसार तो सामने आता ही है। अश्लीलता की भद्दी दुनियां तक पहुंचना भी बहुत आसान है। अमीर घरों के बच्चों के लिये, जिनके पास यह सुविधा उपलब्ध है, यह काम बहुत ही आसान है।
साइबर कैफे चलाने वाले कुछ सफेदपोश भी, इस आड़ में सेक्स का धंधा चलाकर पैसा बटोर रहे हैं। अब तो मोबाइल संस्कृति का भी तेजी से प्रसार हो रहा है। अश्लीलता भरे संदेश, भद्दे मजाक और नग्न चित्रा छोटे से मोबाइल फोन की स्क्रीन पर देखना संभव हो गया है।
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यदि समय रहते, किशोरों में अश्लीलता और कामुकता के जहर को फैलने से रोकना है तो समाज और समाजसेवी संस्थाओं को जागना होगा। प्रशासन और पुलिस को कठोर कानून के अन्तर्गत ऐसे लोगों से कड़ाई से निपटना होगा जो समाज के वातावरण को दूषित कर रहे हैं। साथ ही साथ यौन शिक्षा के महत्त्व को भी समझना होगा।