Kidney Diseases : गुर्दे के रोगों से बचाता है कटिपिण्डमर्दनासन
Katipindamardanasana protects from kidney diseases
Kidney Diseases : किडनी या गुर्दे से सम्बन्धित तकलीफों में पथरी एक आम रोग है। पथरी हमारे गुर्दे या ब्लैडर में सौडिमैन्टेशन अथवा कैल्सियम के जमाव से बन जाती है। सामान्य सी लगने वाली यह बीमारी अत्यधिक तकलीफदेह हो सकती है। पथरी (गाल ब्लैडर की) चूकिं मूत्र के मार्ग में अवरोध पैदा करती है अतः इस अवरोध के कारण होने वाली पीडा असहनीय होती है। यही कारण है कि पथरी की मोड़ी सी सम्भावना को गंभीर रूप से लेना चाहिये।
वैसे तो एलोपैथ पद्धति में पथरी चाहे गुर्दे की हो या ब्लैडर की बहुत बड़ी नहीं मानते क्योेंकि इस पद्धति में आपरेशन करके गाल ब्लैडर का निकाला जाना एक मात्र और सरलतम उपाय माना जाता है। तो गुर्दे की पथरी को लेजर अथवा शक्तिशाली दवाओं से तोड़कर मूत्र के जरिये निकाला जाता है। परन्तु योग के जरिये हम इन सब तकलीफों के बगैर पथरी से छुटकारा पा सकते है।
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कटिपिण्डमर्दनासन कर यदि नियमित अभ्यास करें-खासकर किसी योग विशेषज्ञ की सलाह पर-तोय पथरी से कुछ हतों से लेकर 2-3 महीनों के भीतर निजाद पाया जा सकता है। इस आसन मे कटिप्रदेश (कमर के पास वाले भाग) में स्थित पिण्ड अर्थात मूत्रपिण्ड का मर्दन होता है इसी कारण से इस आसन को कटिपिण्डमर्दनासन कहते है।
कटिपिण्डमर्दनासन करने की विधि
कम्बल जमीन पर बिछाकर पीठ के बल चित्त लेट जायें। दोनों हाथों को आमने सामने फैला दें। मुठ्ठियों बन्द रखें। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर खडे कर दें। पैर के तलुबे जमीन से लगे रहें। दोनों पैरों के बीच इतना अन्तर रखें कि घुटनों को जमीन पर झुकाने से एक पैर का घुटना दूसरे पैर की एड़ी को लगे। अब सिर दाहिनी ओर मुडे़ तो घुटने बायीं ओर जमीन को लगें। सिर बायीं ओर मुड़े तो दोनों घुटने दाहिनी ओर जमीन को लगें। इस प्रकार 15-20 बार किया करें। इस प्रकार दोनों पैरों को एक साथ रखकर भी किया कर सकते हैं।
लाभ
जिस व्यक्ति को पथरी हो उसे इस आसन का अभ्यास भूखे पेट करना चाहिये। इस आसन के नियमित अभ्यास से पथरी के दर्द में लाभ मिलता है। पथरी टुकडे़-टुकडय़े होकर मूत्र के द्वारा बाहर निकलने लगती है। मूत्र विकार दूर होता है। कमर दर्द, साइटिका, रीड़ की हड्डी की जकड़न, उदासीन, निराशा, डाइबिटीज, नुपंसकता इत्यादि रोगों में शीध्र लाभ होता है। नाभि स्थान से जाती हो तो पुनः अपने स्थान में आ जाती है।
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कब्ज का रोगी सुबह शौच जाने से पूर्व पानी पीकर इस आसन को करे तो चमत्कारिक रूप से लाभ होगा। श्वास को अन्दर भर के पेट को फुलाकर यह आसन करने के कब्ज दूर होता है।
Note :- मासिक धर्म के समय एवं गर्भावस्था में स्त्रियां यह आसन न करें।