Heart Attack Symptoms: दिल की बीमारियां
Heart Attack Symptoms: Heart diseases
Heart Attack Symptoms : दिल या हृदय से सम्बन्धित किसी भी बीमारी का नाम सुनते ही हमें पसीना छूट जाता है। यह सही है कि किसी के लिये भी इस तथ्य को जानना कि वह हृदय रोग से पीड़ित है सहज नहीं होता परन्तु साथ ही यह जानना बेहद जरूरी है कि हृदय रोगों पर संयम, सही इलाज, नियमित दिनचर्या, परहेज व सही खानपान से काबू पाया जा सकता है। हृदय रोगों के बारे में जानने से पहले अपने हृदय को जानना बहुत जरूरी है।
अपने हृदय को जाने (Know Your Heart)
किसी व्यक्ति के हृदय का आकार उसकी मुठ्ठी के आकार के बराबर होता है। हृदय का वजन लगभग 350-400 ग्राम तक होता है। हृदय में धड़कन हमारे जन्म के पहले ही शुरू हो जाती है और दिल का धड़कना जब तक हम जीवित रहते हैं जारी रहता है। हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है। हृदय की क्रियाओं में काम आने वाली आक्सीजन धमनियों के जरिये जिन्हें हम ब्लड वैसल्स भी कहते है, खून के साथ सप्लाई होती है।
हृदयाधात या दिल के दौरे का कारण (Heart Attack Symptoms)
स्वस्थ शरीर के लिये आवश्यक है कि हृदय की आक्सीजन की जरूरत पूरी होती रहे। यह तभी सम्भव है जब धमनियों द्वारा हृदय में रक्त संचार सुचारू होगा। आमतौर पर शरीर में यह बैलैंस स्वतः ही स्थापित होता रहता है। व्यायाम, भावुकता व भोजन के समय जब शरीर आक्सीजन की जरूरत बढ़ जाती है तो रक्त द्वारा हृदय में आक्सीजन की सप्लाई ()(Supply of oxygen to the heart through blood) उसी अनुपात में बढ़ जाती है और जब भी इस प्रवाह में किसी रूकावट के कारण आक्सीजन की जरूरत और सप्लाई में तालमेल गड़बड़ा जाता है, यही हृदयाधात या दिल के दौरे का कारण होता है।
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ऐसी स्थिति आमतौर पर तब आती है जब धमनियों में कोलैस्ट्रोल के जमाव की वजह से हृदय में रक्त प्रचुर मात्रा में नहीं पहुंच पाता। शुरू में इस स्थिति का पता सीने के बीचों बीच या बायीं तरफ सीने में भंयकर दर्द द्वारा चलता है जिसे हम एंजाइना पेक्टोरिस (Angina Pectoris) कहते है। परन्तु स्थिति पर काबू न पाया जाय तो दिल का दौरा निश्चित है।
परहेज
दिल के मरीजों को घी, मक्खन, नारियल का तेल, अण्डे की जर्दी, क्रीम, मेवे (मूंगफली, बादाम, काजू आदि), मांस के सेवन से परहेज करना चाहिये।
क्या खायें
अधिक से अधिक हरी, पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। प्याज, लहसुन, मछली, अण्डे की सफेदी खूब खायें। ध्यान रखें कि उबला हुआ या भाप लगा भोजन करें और तली हुयी चींजे कम से कम खायें। खाना पकाने के लिये तिल का तेल या फिर सूरजमुखी के तेल का प्रयोग करें। सोयाबीन का प्रयोग अपने भोजन में अधिक से अधिक करें।
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टैंशन कम से कम रखें। इससे दूर रहने के लिये धीरे-धीरे तक गिनते हुये सांस भीतर खींचे। सांस भीतर रोकें 3 तक गिनती करें। सांस बाहर छोड़ते-छोड़ते 6 तक फिर गिने।