Spa Benefits : ‘स्पा‘ से लाभ उठाएं जल के ¨स्वास्थ्यवर्धक गुण¨ का
Spa Benefits : Take advantage of the healthy properties of water through ‘Spa’
Spa Benefits : स्पा- यह छोटा सा शब्द आज काफी प्रचलन में है जिसका शाब्दिक अर्थ है खनिज जल की धारा निकलने का स्थान (स्रोत)। ‘स्पा‘ के अंतर्गत कई प्रकार के स्नान करने के ढंग आते हैं। हमारे यहां प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रकार के स्नान प्रचलन में हैं। हालांकि आज के भागमभाग के दौर में ‘स्नान‘ साबुन-शैम्पू से नहाना-धोना ही अधिकांश लोगों की दिनचर्या बन गया है।
प्राकृतिक चिकित्सा यानी दवा रहित रोगोपचार प्रणाली में विभिन्न प्रकार के स्नानों का अपना विशेष महत्व है। इन्हें ही अब निश्चित अवधि के अंतराल पर अपनाते रहना तन और मन के स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ साधन माना जाने लगा है। शारीरिक स्वास्थ्य और रोगों को पछाड़कर निरोग रहने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के मूल सिद्धांतों पर आधारित ये विशेष स्नान बेहद लाभदायक हैं।
यह अत्यंत आवश्यक है कि स्वस्थ और निरोग रहने के लिए सामान्य स्वास्थ्य नियमों का ज्ञान होने के साथ-साथ उनका पालन भी किया जाये। स्नान की ‘स्पा‘ शैली भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। अतः इसे अपनाया जाना चाहिए। इसके लिए किसी योग्य व्यक्ति से आवश्यक जानकारी या प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकता है। अच्छी पुस्तकों की सहायता भी ली जा सकती है। इससे स्नान संबंधी जानकारी के साथ-साथ उपयुक्त सावधानियों के बारे में भी पर्याप्त जानकारी मिल सकेगी।
विभिन्न स्नानों के बारे में सामान्य जानकारी (Health benefits of Bath)-
भाप स्नान (Steam Bath)-
इसके लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते हुए उचित तापमान तक गर्म करके भाप बनाई जाती है जिसमें स्नान किया जाता है। कमरे जैसे बंद स्थान में किया जाने वाला यह भाप स्नान त्वचा, बालों और फेफड़ों के लिए बहुत लाभदायक होता है। सर्दी-जुकाम-खांसी, दमा आदि में इससे आश्चर्यजनक लाभ मिलता है।
सोना बाथ (Sona Baath)-
लकड़ी से बने उष्मारोधी कमरे जैसे स्थान पर यह स्नान कराया जाता है जिससे बैठने पर खूब पसीना आता है। इस प्रकार त्वचा के रोमकूपों के द्वारा शरीर के विभिन्न विजातीय या विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। जोड़ों के दर्द, सूजन, मोटापे आदि से मुक्ति के लिए यह स्नान श्रेष्ठ है।
जकूजी बाथ (Jacuzzi Bath)-
इसके लिए चारों और कई नल तथा बड़े टब का उपयोग किया जाता है जिनसे अत्यंत दबाव के साथ पानी की तेज धार निकलती है। पानी की धार के दबाव में इस स्नान को जल मालिश या हाइड्रो मसाज भी कहा जाता है। शरीर के दर्द और थकान के साथ-साथ मानसिक थकान से भी छुटकारा मिलता है। स्फूर्ति और अनूठा अनुभव देने वाला यह स्नान बहुत लाभदायक है।
शीतल स्नान (Cool Bath)-
भाप स्नान और सोना बाथ जैसे गर्म स्नानों के बाद यह स्नान किया जाता है। प्रायः वर्फ से ठंडे पानी का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार ठंडे-गर्म व गर्म-ठंडे स्नानों का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा में अंग विशेष के अलावा सम्पूर्ण शरीर के विभिन्न स्नान व ठंडी-गर्म पट्टियों का प्रयोग भी किया जाता है। रोगोपचार के लिए स्नान निरापद और बेहतर ‘चिकित्सा‘ है।
गर्म स्नान से गर्म मालिश का लाभ (Benefits of Hot Massage over Hot Bath)
गर्म स्नान से गर्म मालिश का लाभ शरीर को मिलता है। रक्त संचार व रक्तचाप दुरुस्त रहता है। बाल, त्वचा व श्वसन तंत्र के लिए लाभदायक होने के साथ इससे सर्दी-खांसी, दमा आदि में भी आराम मिलता है।
ठंडे-गर्म स्नानों के आवश्यकतानुसार नियमित प्रयोग से मोटापे, अपच, मधुमेह, अनिद्रा आदि पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। चूंकि इन स्नानों से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं अतः अनेक शारीरिक कष्ट व रोगों की संभावना भी क्षीण हो जाती है। शरीर में नया उत्साह और स्फूर्ति अनुभव होती है।
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काम करने में मन लगता है। त्वचा कोमल और कांतिमय हो जाती है। स्नान से पहले पानी पीना चाहिए ताकि गर्म पानी से स्नान से होने वाले संभावित निर्जलीकरण से बचा जा सके। चिकित्सक के निर्देशनुसार गर्म या गुनगुने पानी का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा पहले गुनगुने पानी से स्नान करना चाहिए। हर गर्म स्नान के बाद शीतल स्नान करना चाहिए।
सर्वाधिक महत्वपूर्ण है योग्य व्यक्ति या चिकित्सक के परामर्श के अनुसार चलना। हृदय रोग, त्वचा रोग या अन्य किसी बड़े रोग के होने पर बिना चिकित्सक के परामर्श के बिना ‘स्पा‘ का प्रयोग नहीं करना चाहिए। स्नान के कम से कम आधे घंटे के बाद ही पानी पीना चाहिए। गर्म स्नान के तुरन्त बाद बाहर हवा में नहीं जाना चाहिए।
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गर्म स्नान के दौरान शरीर पर तेल या क्रीम आदि नहीं लगानी चाहिए। स्नान के समय धातु निर्मित कोई आभूषण आदि नहीं पहनना चाहिए। उष्मा के सुचालक होने के कारण उस धातु का निशान शरीर के उस भाग पर पड़ सकता है। गर्म स्नान सप्ताह में अधिकतम 3-4 बार ही करना चाहिए। चिक्त्सिक के निर्देशों के पालन करने से मनमाने स्नान की हानियों से बचा जा सकता है।