Beach of India : केरल प्रदेश का कोवलम सागर-तट
Beach of India: Kovalam Beach of Kerala State
Beach of India : जब विशाल हिमालय की चोटियां हिमपात से ढक जाती हैं, उत्तर के मैदानों में शीतलहर चलती है और मध्य भारत का अधिकांश भाग ठंड से प्रभावित रहता है, तब दक्षिण भारत का मौसम बड़ा ही सुहावना रहता है। विशेषकर करीब सात हजार किलोमीटर की लंबाई का प्रायद्वीपीय भारत का सागर-तट अपनी प्राकृतिक छटा और सुखद वातावरण तथा खुली धूप से लोगों को आकर्षित करता है।
इसी श्रृंखला में केरल प्रदेश का कोवलम सागर-तट दर्शनीय है जो हर आगंतुक के लिए अपने अनुपम नैसर्गिक सौंदर्य के द्वार खोलता है। भारत ही नहीं, दुनियां के सुंदरतम समुद्र तटों में से एक कहलाने वाला यह कोवलम केरल की राजधानी त्रिवेन्द्रम या तिरूवंनतपुरम से करीब चैदह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
समुद्र किनारे पहुंचने के लिए पक्की सड़क
राजधानी नगर से समुद्र किनारे पहुंचने के लिए पक्की सड़क है जिससे होकर कोवलम तक बस, टैक्सी या स्कूटर से पहुंचा जा सकता है। इस सड़क के दोनों ओर बाग बगीचे फैले हैं, जिनमें काजू, केले, नारियल और रबड़ के हरे-भरे अनेक पेड़ पौधे दिखाई पड़ते हैं। करीब आधे घंटे की यात्रा के बाद कोवलम पहुंचते हैं। यहां सागर-तट की ओर ढालवा रास्ता है।
झुरमुटों के बीच से होकर अचानक सागर तट पर पहुंचते ही कोई भी व्यक्ति खुले आसमान के नीचे दूर तक अरब सागर के विशाल पारावार को देखकर आश्चर्यचकित रह जाता है। कोवलम सागर तट पर थल भाग से समुद्र की ओर दो छोटी-छोटी पहाड़ियां निकली हुई हैं। इन्हीं के बीच अर्ध चन्द्राकार रूप में कोवलम का मनोहर सागर तट फैला हुआ है। दोनांे ओर पहाड़ी ढालों से सागर जल तक नारियल के अनेक छोटे-बड़े वृक्ष हैं। सागर-लहरों के साथ पचास से दो सौ मीटर की चैड़ाई से सुनहली चमकती रेत फैली है।
सुखद और मनोहर कोवलम सागर तट
सुखद और मनोहर कोवलम सागर तट की यह विशेषता है कि अप्रैल-मई की तेज गर्मी के अलावा साल के शेष महीनों में मौसम अच्छा और हवादार बना रहता है। दूसरी बात यह है कि सागर तट पर दूर तक फैली बालू की राशि में मिट्टी या धूल नहीं है। फलस्वरूप नीला सागर जल निर्मल और फेनिल है जिसमें सैलानी सागर स्नान के द्वारा मनमोहक आनन्द प्राप्त करते हैं।
पाश्चात्य दृष्टिकोण से किसी सागर तट की महत्ता वहां के खुले मौसम तथा धूप भरे दिनों की आंकी जाती है। इस रूप में भी कोवलम श्रेष्ठ सागर तट माना जाता है और वहां सुबह-दोपहर अनेक विदेशी पर्यटक धूप स्नान करते नजर आते हैं।
सूर्योदय के कुछ देर बाद तटीय क्षेत्रा में चहल-पहल तेज होती जाती है, सागर स्नान करने वालों और धूप सेंकने वालों का आना-जाना बढ़ने लगता है। इसके साथ ही मछुआरे तथा नारियल पानी वाले भी अपना काम आरंभ करते हैं। यहां के मछुआरे भी निराले हैं, छोटी-सी नाव लेकर वे सागर की उत्ताल तरंगों पर निडर होकर कलाबाजी करते हुए मछलियां पकड़ने के लिए जाल फेंकते हैं। सागर किनारे रेत पर श्यामा तल्पंगह मत्स्यकन्याएं मधुर-मुस्कान के साथ आशा भरी निगाहों से उन्हें निहारती हैं।
विदेशी पर्यटकों का झुंड
दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों का झुंड अपने कैमरों को संभाले सारे दृश्यों को भर लेना चाहते हैं। साथ ही यहां पर सीपी, कौड़ियों और नारियल सामग्री में बने हस्तशिल्प को खरीदने में भी बड़े आनन्द का अनुभव करते हैं। बालू की राशि पर जहां अमेरिकी और यूरोपीय सैलानी धूप सेंकते हैं वहीं पर भारतीय लोगों को उस दृश्य से आंखें सेंकते हुए देखा जा सकता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य
खुले सागर तट पर सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य सदैव आकर्षक हुआ करता है। कोवलम तट पर सूर्यास्त का दृश्य अनूठा है जिसके लिए कहा जा सकता है कि ‘पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश अस्ताचल की ओर जाते हुए सूर्यास्त के साथ ही विशाल जल राशि में रंग-बिरंगे परिवर्तन आरंभ हो जाते हैं। पहले सुनहला पीला, फिर नारंगी और तब ताम्रवर्ण सूर्यमंडल के साथ गगनांगन सिंदूरी हो जाता है।
डूबते हुए सूरज का मुखमंडल सागर-जल पर प्रतिबिंबित होता है। सिमटती किरणों से सहसा सागर तल पर दूर तक स्वर्ण-पथ दिखाई पड़ता है। फिर धीरे-धीरे सूर्य का ताम्रबिंब क्षितिज के निकट होता जाता है। जहां सूदूर सागर और आकाश के मिलन की रेखा नजर आती है, लगता है पूरे दिन की तेजी से थका हुआ सूरज क्षितिज रेखा पर विश्राम हेतु एक क्षण को रूका फिर सहसा ओझल हो गया।
शाम ढल गई, फैलते हुए अंधेरे के साथ सागर लहरों का शोर भी तेज होने लगा है। दूर पहाड़ी के ऊंचे स्थान पर स्थित एक दीप स्तंभ (लाइट हाउस) से हर मिनट फेंकी गई प्रकाश रेखा अच्छी लगती है। इधर सागर तट की रेत पर दुकानदारों के द्वारा टेबल, कुर्सियां बिछा दी जाती हैं, जिन पर मोमबत्ती और लालटेन की रोशनी में अनेक ग्राहक जुटने लगते हैं।
होटल व योगाभ्यास केन्द्र (Beach of India)
कोवलम सागर तट पर बायीं ओर पहाड़ी ढाल पर होटल कोवलम सागर अशोक बनाया गया है। यह भी अपने ढंग का एक अनूठा स्थान है। पहाड़ी ढाल पर नारियल की झुरमटों के बीच सोपान काटकर सुखद कमरे बनाये गए हैं जिनमें खिड़कियांे से सदैव सागर का दृश्य दिखाई पड़ता है और दिन में पूरी धूप भी आती है। इसके नीचे सागर तट की रेत पर घेर कर योगाभ्यास केन्द्र बनाया गया और बगल में स्वच्छ जल का छोटा-सा तरण ताल भी है, जो विदेशी पर्यटकों को अधिक आकर्षित करता है।
कोवलम सागर तट की दायीं ओर का भाग हवा बीच या जनता बीच कहलाता है। यहां पर होटल-रेस्तरां और अनेक प्रकार की छोटी-छोटी दुकानें हैं, जहां खिलौने से लेकर तौलिया, कंघे जैसे हर तरह के सामान मिल जायेंगे। शाम से लेकर देर रात तक यहां लोगों की चहल-पहल बनी रहती है। सागर के समान ही केरल के कोवलम का उन्मुक्त वातावरण इस की एक अपनी विशेषता है।