Reetha (रीठा) : बड़े गुणों से भरपूर छोटा सा फल
Reetha: A small fruit full of great qualities.
Reetha (रीठा) : रीठे के प्रयोग से आप सभी परिचित ही होंगे। अंग्रेजी में सोप नट (Soap Nut) के नाम से जाने वाले रीठे का वानस्पतिक नाम सपिंदुस मुकोरोरिन्स गेर्तनर (Botanical name of Reetha Sapindus mucororhinus Gaertner) है। यह सपिंदासी वानस्पतिक परिवार का सदस्य है।
रीठे का वृक्ष बहुत आकर्षक तनु वृक्ष के समान लगता है। इसमें मई-जून में छोटे-छोटे फूल खिलते हैं। इसके फल गूदेदार एवं गोल होते हैं जो अक्टूबर से जनवरी तक पकते हैं। रीठे के वृक्ष पूरे भारत में मिलते हैं। भारत के उत्तर-पश्चिम में सब जगह तथा बंगाल एवं असम में यह बोया जाता है। देहातों में यह जंगली अवस्था में मिलता है।
ऊनी तथा रेशमी कपड़ों को धोने के लिए रीठे का प्रयोग बहुतायत से किया जाता है। गहनों तथा जेवरातों की पाॅलिश के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों से निकलने वाला स्थाई तेल साबुन, खाद, उर्वरक आदि बनाने के काम आता है। इसके पत्तों का प्रयोग पशुओं के चारे के रूप में होता है।
Reetha (रीठा) के औषधीय उपयोग
आयुर्वेद के अनुसार, रीठे के अनेक औषधीय उपयोग हैं। यह त्रिदोषों को दूर करता है तथा जहर भी उतारता है। आधा सीसी, अपस्मार, हिस्टीरिया आदि रोगों को भी शांत करता है। इसके बीजों का चूर्ण कीटनाशक होता है।
हिस्टीरिया अथवा अपस्मार के रोगी को होश में लाने के लिए रीठे का छिलका उतारकर गाय के दूध या ताजा पानी में घिसकर नाक में टपकाएं। अगर ज्यादा गहरी बेहोशी हो तो इसे आंखों में लगाएं इससे रोगी तुरंत होश में आ जाता है। रीठा एक अच्छा कफ शामक भी है। रीठे की गुठली का 8-16 ग्रेन चूर्ण छाती मे जमा कफ निकाल देता है। इससे कफ पतला होकर जल्दी निकल जाता है।
दर्द से राहत के लिए
आधा सीसी के दर्द से राहत के लिए रीठे को काली मिर्च के साथ घिसकर 2-4 बूंदें नाक में टपकाएं। इससे नाक से बहुत बलगम निकलता है और दर्द से तुरंत आराम मिल जाता है।
जुओं का भी नाश होता है
विभिन्न त्वचा रोगों के इलाज में भी रीठा मददगार होता है। दाद, खाज-खुजली या त्वचा के विकारों में रीठे के वृक्ष की छाल, पत्ते तथा फलों का छिलका बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी मेें उबलकर स्नान करने से त्वचीय रोग दूर हो जाते हैं। इससे जुओं का भी नाश होता है।
स्त्रियों के अनेक कष्टों को दूर करता है Reetha (रीठा)
रीठा स्त्रियों के अनेक कष्टों को दूर करता है। मासिक धर्म में कोई बाधा आ गई हो या रुक गया हो तो रीठे की गुठली की मींग पीसकर गोली बना लें। इस गोली को जननेंन्द्रिय में रखने से मासिक धर्म पुनः शुरू हो जाता है।
यदि प्रसव के समय बहुत अधिक कष्ट हो रहा हो तो उपर्युक्त गोली को योनि में रखने से प्रसव आसानी से हो जाता है। इसके अतिरिक्त रीठे के छिलके के झागों में रुई की बत्ती भिगोकर योनि में रखने में प्रसव शीघ्र एवं कष्ट रहित हो जाता है।
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स्त्रियों में प्रसव के बाद वायु का जोर होेने से सिर चकराता है, आंखों के आगे अंधेरा होने लगता है तथा दांत भिंच जाते हैं। ऐसे में रीठे के जल को आंखों में लगाना चाहिए।
जहर उतारने में भी लाभकारी होता है Reetha (रीठा)
रीठा जहर उतारने में भी लाभकारी होता है। बिच्छू काट लेने पर विष चढ़ गया हो तो रीठे को छिलका बारीक पीसकर गुड़ में मिलाकर तीन गोलियां बनाएं। पांच-पांच मिनट बाद एक-एक गोली ताजा पानी के साथ खिलानी चाहिए। साथ ही एक रीठा पानी में घिसकर आंखों में लगाना चाहिए तथा प्रभावित स्थान पर उसका लेप भी करना चाहिए।
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सांप के काटने या विष खा लेने पर तीन रीठे लगभग 25 ग्राम पानी में डालकर अच्छी तरह मलें। जब खूब झाग बन जाए तो इसमें से थोड़ा सा पानी आंखों में लगाकर शेष जल रोगी को पिला दें। इससे उल्टियां होकर सारा विष बाहर निकल जाएगा। चूंकि आंखों में भी यह जल लगाया जाता है इससे आंखों में जलन होती है इसके लिए आंखों में ताजा मक्खन या घी लगाना चाहिए।