Rudreshwar Cave : जानें पाताल रुद्रेश्वर गुफा की महिमा के बारे में
Rudreshwar cave where Shiva himself had done penance
Rudreshwar Cave : उत्तरांचल के चम्पावत जिले के बारसी गांव में स्थित पाताल रूद्रेश्वर गुफा में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, साक्षात् भगवान शिव ने तपस्या एवं अनेक आध्यात्मिक और यौगिक क्रियाएं की थीं इसीलिए यह गुफा अध्यात्म के लिए जागृत स्थल मानी जाती है। पवित्र गुफा पाताल रूद्रेश्वर की खोज वर्ष 1993 में एक 14 वर्षीय बालक को स्वप्न में मां दुर्गा के दर्शन एवं उसे गुफा के बारे में बताने के बाद हुई।
यह गुफा सिखों के पवित्र गुरुद्वारा मीठा रीठा, रीठा साहिब से लगभग 6 किलोमीटर उत्तर पूर्व में एवं पवित्र बाराही धाम देवीधूरा से 15 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ साक्षात भगवान शिव ने तपस्या, आध्यात्मिक और यौगिक क्रियाएं की थीं जिसके कारण इसकी अध्यात्म के लिए जागृत स्थल के रूप में मान्यता है।
इस गुफा के बारे में मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां पर तपस्या की थी। अनेक ऋषि-मुनियों तथा सिद्ध पुरुषों की ओर से गुफा में लम्बे समय तक तपस्या करने एवं सिद्धियां प्राप्त करने की बात भी प्रचलित है। इस गुफा के अंदर प्रवेश करते ही एक दिव्य अलौकिक आनंद की अनुभूति होती है।
पाताल रूद्रेश्वर गुफा (Patal Rudreshwar Cave)
पाताल रूद्रेश्वर गुफा के पास पहुँचते ही दिखाई देता है लगभग 20 वर्गफुट चौड़ा विशाल प्रवेशद्वार और गुफा के अंदर प्रवेश करते ही मानो मानव शिव लोक पहुंच जाता है। गुफा के मध्य भाग में एक चबूतरा है जिसकी लंबाई लगभग 40 मीटर है और इसमें 500 से अधिक लोग एक साथ बैठ सकते हैं। चबूतरे के पार्श्व में एक हवन कुंड भी है।
गुफा से आगे बढ़ने पर सीढ़ियों से गुफा के गर्भगृह में पहुंचते हैं जहां प्राकृतिक रूप से योनिकुण्ड में विराजमान लगभग 3 फुट ऊंचा स्वनिर्मित शिवलिंग है। योनिकुण्ड हमेशा शीतल जल से भरा रहता है। शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक रूप से बने शेष नाग के फन से रूद्राक्ष आदि की प्राकृतिक रूप से बनी हुई आकृतियां स्पष्ट दिखाई देती हैं।
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शिव लिंग के बाम पार्श्व एवं ऊर्ध्व भाग में पार्वती, नंदी एवं देवगणों की अनेकानेक आकृतियां तथा साक्षात धाराएं शिवलिंग के ऊपर गिरती हैं। यहां पर शिवजी से संबंधित त्रिशूल, शंख, घंटा एवं नाग की आकृतियां बनी हुई हैं। शिवलिंग के पार्श्व भाग में प्रस्तर की भित्ति पर कान लगाने पर वेग से बहती हुई गुप्तगंगा के प्रचंड वेग का स्वर सुनाई पड़ता है जो गुफा से आधा किमी नीचे बहती है।
चार अन्य गुफाएं भी हैं
इस गुफा के आसपास चार अन्य गुफाएं भी विद्यमान हैं जो अत्यंत मनोहारी एवं आकर्षक हैं। पहली गुफा सरोवर गुफा के नाम से जानी जाती है जिसके अन्दर जल से भरा एक विशाल तालाब है। इस गुफा की लंबाई लगभग 30 मीटर तथा चौड़ाई 8 मीटर है।
दूसरी गुफा पंचदेव गुफा के नाम से प्रसिद्ध है जिसके अंदर अनेक प्रकार की प्राकृतिक रूप से देवी देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं। इस गुफा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि गुफा चट्टानों के सहारे 20 किलोमीटर आगे पहुंची है।
मान्यता है कि यह मां बाराही के धाम देवीधूरा तक पहुंची है। तीसरी गुफा भैरव गुफा के नाम से जानी जाती है। चौथी गुफा इसके दायें से चट्टानों के सहारे जाने के 225 मीटर की दूरी पर है। यह गुफा दो मंजिली है जिसमें प्राकृतिक आसन बैठने के लिए बना हुआ है।
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स्थानीय भाषा में इस गुफा को गोठ पड़िया गुफा कहते हैं जिसमें गोठ का मतलब पहली मंजिल और पड़िया का मतलब दूसरी मंजिल से होता है। पाताल रूद्रेश्वर गुफा के दर्शनों के लिए देश-विदेश से आध्यात्म की खोज में निकले मनीषी एवं साधु महात्मा आते रहते हैं।