Raksha Bandhan : भाई-बहन के स्नेह का पावन पर्व
Raksha Bandhan: The sacred festival of love between brother and sister
Raksha Bandhan : बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाइयों पर श्रावणी की पूर्णिमा के दिन राखी बांधने का अपना अलग महत्त्व (Importance of tying Rakhi) है। रक्षा बंधन हमारे देश के कई राज्यों में सदियों से मनाया जा रहा पवित्र पर्व है। यह पर्व पारिवारिक मंगलकामना का प्रतीक भी माना गया है।
यह पर्व भाई-बहन के बीच पवित्र स्नेह का द्योतक भी है। बहन भाई की कलाई पर रेशम की डोरी यानी राखी बांधती है आरती उतार कर भाई के माथे पर टीका लगाती है तथा सुख एवं समृद्धि हेतु नारियल एवं रूमाल भाई को भेंट स्वरूप देती है। भाई भी बहन की रक्षा के संकल्प को दोहराते हुए भेंट स्वरूप कुछ रुपये अथवा वस्तुएं प्रदान करता है।
रक्षा बंधन के पर्व के महत्त्व (Importance of Raksha Bandhan Festival)
रक्षाबंधन के पर्व के महत्त्व संबंधित विस्तृत जानकारी पुराणों में भी मिलती है। किंवदंती है कि जब देव-दानवों में 12 वर्ष तक युद्ध चलता रहा तो कोई भी परिणाम न निकला तो इंद्र व गुरू बृहस्पति भी चिन्तित हो उठे। राजा इंद्र की पत्नी पोलामी ने अपने पति को परेशान देख उन्हें उत्साहित करते हुए कहा मैं जीत के लिए प्रयत्न करूंगी।
उस दिन श्रावणमास शुक्ल की चतुर्थी थी। दूसरे दिन प्रातः इंद्र देवता की पत्नी ने गुरू बृहस्पति की आज्ञा से यज्ञ किया और यज्ञ की समाप्ति पर इंद्र की दाई कलाई पर ‘रक्षा‘-सूत्रा’ बांधा। तत्पश्चात देव-दानव युद्ध में देवताओं को जीत की प्राप्ति हुई। कहा जाता है तभी से श्रावणी की पूर्णिमा को रक्षाबंधन पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
रक्षा बंधन का इतिहास (History of Raksha Bandhan)
इतिहास में एक अध्याय कर्मावती व हुमायूं के बीच प्रगाढ़ रिश्ते और राखी की लाज से जुड़ा है। कर्मावती ने हुमायूं को पत्रा भेज कर सहायता मांगी थी। बादशाह हुमायूं ने राखी की लाज निभाते हुए अपनी राजपूत बहन कर्मावती की मदद की थी। अतः रक्षाबंधन हमारे लिए विजय कामना का भी पर्व है।
प्राचीन काल में Raksha Bandhan
प्राचीन काल में शिष्य अपने गुरूओं के हाथ में सूत का धागा बांधकर उनसे आशीष प्राप्त करते थे। ब्राह्मण भी हाथ में सूत का धागा बांध कर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। रक्षाबंधन भले ही हिंदुओं का पावन पर्व है किंतु दूसरे धर्म के अनुयायियों ने भी स्वेच्छा से रक्षा बंधन पर्व में अपनी आस्था व्यक्त की है।
अर्थव्यवस्था में Raksha Bandhan Festival का योगदान
समयानुसार सभी पर्व प्रभावित हुए हैं। रक्षाबंधन भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाया। रेशम की डोरी की जगह फैंसी राखियां चलन में आ गई। हमारी अर्थव्यवस्था में रक्षाबंधन पर्व के महत्त्वपूर्ण योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। करोड़ों रूपयों का कारोबार लाखों परिवारों को आजीविका प्रदान कर रहा है।
पश्चिमी सभ्यता से रेशम की डोरी भी प्रभावित
ज्वैलरी मार्केट में भी रक्षाबंधन के दौरान उछाल आ जाता है। मिठाइयां, ड्रायफ्रुटस्, चाॅकलेटस की भी अच्छी खासी बिक्री होती है। डाक विभाग और कूरियर कारोबारी भी रक्षाबंधन के दौरान विशेष सेवाएं प्रदान करते हैं। रक्षा बंधन के पर्व को कुछ लोगों ने अपनी हरकतों से नुक्सान भी पहुंचाया है। पश्चिमी सभ्यता से रेशम की डोरी भी प्रभावित हुई है। फ्रैण्डशिप डे’ के दिन स्कूल और काॅलेज के विद्यार्थी एक-दूसरे की कलाइयों में फ्रैण्डशिप बेल्ट बांधते हैं नये दोस्त बनाने के लिए लड़के उन लड़कियों को भी बेल्ट बांधने से नही चूकते जिनसे जान थी और न ही पहचान।
रक्षाबंधन को भी कान्वेंट स्कूलों ने उसी तर्ज पर मनाने की परंपरा स्थापित कर नुक्सान ही पहुंचाया है। माना कि खून के रिश्ते से भी ज्यादा मायने मानवीय रिश्तों में छुपे हैं। मुंहबोली बहन अथवा भाई बनाने का फैशन ही भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को संदेहास्पद बनाता है। बहनों और भाइयों दोनों को रिश्तों की नाजुकता को ध्यान में रखना चाहिए। नई पीढ़ी को शायद यह नहीं पता कि भावनाओं का अनादर एवं विश्वास के साथ घात अशोभनीय है।
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हमें कर्मावती और हुमायूं की वह ऐतिहासिक घटना (That historical incident of Karmavati and Humayun) सदैव याद रखनी चाहिए कि पवित्र रिश्ते मजहब के मोहताज नहीं होते। आओ हम पेड़ों को राखी बांधें और उनके रक्षार्थ सामूहिक प्रयास करें। शायद यह प्रयास वृ़क्षों की अनावश्यक कटाई की रोकथाम में कारगर सिद्ध हो जाए। पवित्र रिश्तों का सम्मान करना हम सभी का नैतिक कर्तव्य भी है।
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