व्यंग्य : ऊपर वाले की दुआ है….

Satire : It's God's blessings...

मिश्रा जी के दोस्त ने जैसे ही उनके हाथ में लड्डुओं का डिब्बा देखा तो झट से बोल पड़ा कि आज सुबह-सुबह किस खुशी में लड्डू बांटे जा रहे हैं?

मिश्रा जी ने अपने दोस्त को बताया कि ऊपर वाले की दुआ से आज मेरे घर तीन बेटियों के बाद बेटा पैदा हुआ है। दोस्त ने मजाक करते हुए कहा कि वैसे आपके ऊपर रहता कौन है? मिश्रा जी ने गंभीर होते हुए कहा कि मैं अपने ऊपर नहीं, सारी दुनियां के ऊपर रहने वाले मालिक की बात कर रहा हंू। इस दुनियां में जो काम धन-दौलत और ताकत के बल पर नहीं किये जा सकते, उसे वो मालिक एक दुआ के कबूल होते ही कर देता है।

मिश्रा जी के दोस्त ने अपने मजाकिया स्वभाव के अनुसार अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि आप की इस दुआ वाली बात से एक बहुत ही मजेदार किस्सा याद आ गया। आपको भी याद होगा कि फिल्मी जगत के इतिहास में आज तक की सबसे लोकप्रिय फिल्म शोले का एक डायलाग बहुत ही मशहूर हुआ था कि तेरा क्या होगा कालिया? मजाक करने वाले कहते हैं कि कालिया ने गब्बर से कहा था कि सरदार दुआ करो कि मेरे घर लड़का हो जाये।

बात किसी मजाक की हो या कठिन परिस्थितियों की, एक जनसाधारण से लेकर बड़ी से बड़ी हस्ती के जीवन में एक बात समान रूप से सामने आती है कि जब भी जिंदगी के किसी मोड़ पर बुरे वक्त से सामना होता है तो उस समय हमारी जीवन नैया बीच भंवर में हिचकोले खाने लगती है। दुनियां में बार-बार अपनों से धोखा खाने के बाद जब इंसान का सब कुछ लुट जाता है उस समय वह खुद को अकेला और असहाय महसूस करने लगता है।

सभी संसाधन होते हुए भी इंसान कभी कहीं सूखे और कभी अधिक बरसात के कारण बाढ़ जैसे हालात के सामने जिंदगी की जंग हारने लगता है। हंसी-खुशी में तो हर कोई एक दूसरे का साथ निभाने का दिखावा कर लेता है लेकिन परेशानी के वक्त जब पैसा, ताकत, दोस्त यार सभी हमारा साथ छोड़ कर हमसे दूर भागने लगते हैं तो उस समय चारों ओर हमें अंधकार ही अंधकार दिखाई देता है।

ऐसे में जब कहीं से मदद की कोई किरण नजर नहीं आती, उस समय इंसान घबरा कर दुआ का सहारा लेता है। सच्चे मन से निकली हुई दुआ रोशनी की उस किरण की तरह होती है जो एक ही पल में अंधकार को चीर कर चारों ओर उजाला फैला देती है। आये दिन हम देखते हैं कि चाहे हमारे किसी नेता का चुनाव हो या करोड़ो रूपये की लागत से बनी किसी बड़े हीरो की फिल्म बाजार में आ रही हो, हर कोई कामयाबी की मंजिल को पाने के लिये सभी दुनियाई सहारे छोड़ कर भगवान के चरणों में दुआ करते ही दिखाई देते हैं।

बात घर के किसी सदस्य की रोजी रोटी कमाने के लिये परदेस में जाने की हो या बेटी की जुदाई की, घर में जब कभी भी शादी-विवाह का मौका होता है तो हर कोई खुशी से झूमता नजर आता है लेकिन इतनी सारी खुशियों के बावजूद बेटी के मां-बाप को चाहे कितना भी ढांढस बंधा लो परंतु उनकी आखों में से आंसू रूकने का नाम नहीं लेते।

हर मां-बाप का अपनी बेटियों को नाजों से पाल-पोस कर बड़ा करते हुए यही एक सपना होता है कि उनकी नाजुक सी बेटी को ससुराल में सदा ठंडी छांव नसीब हो और कभी भी कोई कष्ट उसके नजदीक न आने पाये।

बेटी को भी एक ओर जहां अपने नये जीवन साथी के मिलने की खुशी होती है, वहीं दिल के किसी कोने में यह दर्द छलक रहा होता है कि न जाने कल की सुबह उसे किस्मत के किस मोड़ पर ले जायेगी। इसीलिये शायद घर का हर सदस्य जुदाई के इस मौके पर रोते हुए अपनी बहन-बेटियों को आशीर्वाद देते हुए यही दुआ करता है कि जिस भी घर से भगवान ने उनकी बेटी का भाग्य जोड़ा है, वो वहां पर सदा खुश रहते हुए राज कर सके।

सभी साहसी कर्मियों का मानना है कि बात चाहे एवरेस्ट पर्वत पर चढ़ने की की जाये या समुंद्री लहरों के नीचे मौजूद दुनियां के रहस्य को खोजने की, जब तक अपने प्रियजनों की दुआ आपके साथ नहीं होती, आप केवल अच्छे ज्ञान एवं तकनीक के सहारे अपनी मंजिल के शिखर पर नहीं पहुंच सकते।

इतिहास भी इस बात को झुठला नहीं सकता कि चाहे कोई तन से, चाहे कोई मन से दुखी हो, जीवन से जुड़े हर पहलू में आम इंसान से लेकर राजे-महाराजाओं ने दूसरे सभी विकल्पों को छोड़ कर सिर्फ दुआ की पतवार से ही अपनी जीवन नैया को पार लगाया है।

आजकल न जाने जमाने की हवा कैसी होती जा रही है कि लोग अपने दुखों से कम और दूसरों के सुखों से अधिक दुखी होते हुए दुआ से अधिक बद-दुआ को अहमियत देने लगे हैं। अपने सुखों के लिये तो हर कोई ईश्वर से दुआ मांगता है, एक बार कभी किसी दूसरे के लिये दुआ मांग कर देखो। फिर आप पायेगें कि भगवान किस कद्र आपकी झोली खुशियों से भर देता है।

भगवान की उपासना में अटूट विश्वास रखने वाले ज्ञानियों का मानना है कि सांसारिक सुख तो पैसे से खरीदे जा सकते हैं परंतु धर्म पूरी तरह से निजी मामला है और हर कोई अपने इष्टदेव तक केवल दुआ के माध्यम से ही पहुंच सकता है।

हमें अपनी कमियों को छिपाने और बुरे कर्मों के लिये किस्मत को दोष देने की बजाय सच्चे मन से दुआ करने की आदत डालनी चाहिये। इससे हर किसी की किस्मत खुद ही संवरने लगती है। सच्चे दिल से दुआ करने वालों के हर कष्ट को मिटाने के लिये परमात्मा खुद ऐसे इंसान के पिता, गुरू और मार्ग-दर्शक बन जाते हैं कि फिर उस व्यक्ति को दुनियां में किसी से डरने की जरूरत नहीं होती।

नेक दिल इंसान पूजा-पाठ और आराधना के बल पर उदासी, परेशानी को अपनी दासी बना कर रखते हैं और उसे कभी भी अपने चेहरे पर नहीं आने देते। सारे देश में अमन-चैन की दुआ करते हुए जौली अंकल इतना ही कहते हैं कि:

दुआ दिल से करो,
सदा ही कबूल होती है,
लेकिन मुश्किल यह है कि,
यह बड़ी मुश्किल से होती है।

 

R. Singh

Name: Rina Singh Gender: Female Years Of Experience: 5 Years Field Of Expertise: Politics, Culture, Rural Issues, Current Affairs, Health, ETC Qualification: Diploma In Journalism
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