Relationship Tips : लड़कियां किशोरावस्था में कदम रखते ही प्रेम क्यों करने लगती हैं?
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Relationship Tips : कहतें हैं प्यार की कोई उम्र नही होती। लेकिन जब यह किशोरा अवस्था में होता है तो कई तकलीफ देता है खास कर तब जब किसी का दिल टूट जाता है। आखिर ऐसा क्यों होता आईये इस कहानी के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं।
अपने काॅलेज कैंटीन की सबसे किनारे वाली मेज पर बैठी राधा ने कोल्ड ड्रिंक की ठंडक अपने गले से उतारते हुए मीरा से पूछाए क्यों, कैसा चल रहा है तेरा अफेयर। जवाब में मीरा की आंखें भर आई। कई दृश्य एक साथ उसकी गीली आंखों में धुंधले से उभर आए।
अभी कुछ दिन पहले ही काॅलेज में उसकी मुलाकात कृष्णा से हुई थी। पहली नजर का प्यार कुछ यूं जमा कि दोनों कक्षाएं छोड़कर अक्सर साथ.साथ घूमने लगे। उनका किशोरवय प्यार परवान चढ़ ही रहा था कि बीच में एमटीवी स्टाइल की रीना आ गई। रमेश को मीरा के सलवार कुर्ते पुराने फैशन के लगने लगे। रीना की कसी जींस और बिना बाजू की टी शर्ट का सुर्ख लाल रंग उसे इस कदर भाया कि वह मीरा के प्यार को भुलाकर रीना को दिल दे बैठा। मीरा ठगी सी रह गई और मात्रा 18 वर्ष की आयु में उसका दिल टूट गया।
मीरा किशोरावस्था में कदम रखते ही प्रेम में पड़कर अपना दिल तोड़ बैठने वाली एकमात्रा लड़की नहीं है। उम्र के इस नाजुक दौर में अक्सर लड़कियां प्रेम कर बैठती हैं लेकिन इस दौर में जितनी जल्दी उन्हें प्रेम होता हैए उतनी ही जल्दी उनका प्रेम धीरे से जोर का झटका भी खा जाता है। किशोर लड़कियां प्रेम और आकर्षण का फर्क समझ पाने में असमर्थ होती हैं। आकर्षण को वे प्यार समझ बैठती हैं और चूंकि आकर्षण की उम्र बहुत कम होती हैए उनका प्यार उनसे दूर चला जाता है।
किशोरावस्था में कदम रखते ही प्रेम क्यों करने लगती हैं लड़कियां ?
इस सवाल के जवाब में मनोचिकित्सक का कहना है कि हर लड़की ‘फादर फिगर‘ की तलाश में रहती है। घर पर अपने पिता से वे प्रभावित रहती हैं। अपने आस-पास, दोस्तों के बीच यदि किसी लड़के में उन्हें अपने पिता की छवि नजर आती है तो वे उसकी तरफ आकर्षित हो जाती हैं लेकिन होता यह है कि इस आकर्षण को वे प्रेम समझ बैठती हैं। कहीं न कहीं संरक्षण की भावना से प्रेरित होकर भी लड़कियां लड़कों का सहारा तलाशती हैं और इस तलाश में दिल लगा बैठती हैं।
लड़कियों के लिए प्यार स्टेटस सिंबल्स
आजकल तो कई लड़कियों के लिए प्यार स्टेटस सिंबल्स बन गया है। यदि रीमा के चार अफेयर चल रहे हैं तो उसे नीचा दिखाने के लिए रश्मि पांच अफेयर चलाना चाहती है। प्यार की पवित्राता पर अफेयर की गर्द जमती जा रही है। यदि किसी लड़की का कोई ब्वायफ्रेंड नहीं है तो दोस्तों की मंडली में उसे मजाक का पात्रा बनाया जाता है। आजकल प्यार ग्लैमर और फैशन का प्रतीक बन गया है। बरमूडा संस्कृति की कई लड़कियों के लिए टीन एज लव एक हाबी है यानी खाली समय को मस्ती से गुजारने का सस्ता और मनोरंजक तरीका।
प्यार का पनपना और नष्ट हो जाना, दिल का लगना और टूट जाना, यह सब ठीक वैसा ही हो गया है जैसे दिन और रात का आना-जाना। हिंदी पाॅप एलबमों की बिक्री में भी दिल लगाने-तुड़वाने वाली इन किशोरियों का खूब योगदान होता है। ये दिल लगाती हैं तो उस मूड में रहने केे लिए प्यार के गीत सुनती हैं। दिल टूट जाता है तो मम्मी-पापा से एक्सट्रा पाकेट मनी लेकर दिल को सुकून पहुंचाने वाले पाप एलबम खरीदती हैं।
महानगरों की उह, आह, आउच वाली लड़कियां ब्याॅजजोन, माइकल लन्र्स टू राॅक, नाइन वन बन, बैक स्ट्रीट ब्याॅयज के ब्लूज सुनती हैं। ब्लूज, यानी ऐसे गाने जो प्यार की कहानी कहते हैं मीठी-मीठी दर्द भरी आवाज में। छोटे शहरों या गांवों-कस्बों की लड़कियों का जब दिल टूटता है तो उसकी आवाज नहीं होती। बस उसका दर्द उन मासूम दिलों के भीतर ही लड़खड़ा कर दोबारा सुख तलाशने की कोशिश करता रहता है।
संभलने का प्रयास
दिल टूटने पर हर लड़की अपने ढंग से संभलने का प्रयास करती है। कुछ लड़कियां ‘मिल्स एंड बून‘ के उपन्यासों को अपना सहारा बना लेती हैं तो कुछ पुराने दर्द भरे हिंदी फिल्मी नगमों से दोस्ती कर लेती हैं। कई लड़कियां एकाएक खामोश हो जाती हैं। अकेलापन उन्हें भाने लगता है।
लड़कियों का एक वर्ग ऐसा भी होता है जो प्यार में धोखा खाने के बाद बदले की भावना से ग्रस्त होकर ‘फ्लर्ट‘ बन जाता है। ऐसी ही एक 19 वर्षीया किशोरी नीतू कहती है कि एक लड़के द्वारा प्यार में धोखा दिए जाने के बाद अब वह लड़कों को प्यार में धोखा देकर अपने मन की भड़ास निकालती है। लड़कों को अपने इर्द-गिर्द घुमाना, उनके रूपये खर्च करवाना और उन्हें एकाएक दरकिनार कर देना उसका शगल बन गया है। इसमें उसे अलग ही किस्म का सुख मिलता है।
परिपक्व होने के बाद जब किशोरावस्था में की गई इन गलतियों पर कोई नजर डालता है तो उसे चीजें ज्यादा साफ दिखाई देने लगती हैं। 25 वर्षीय श्रीमती दिव्या विनय का कहना है कि उनकी कई सहेलियों ने प्रेम किया, उनमें से कइयों के दिल टूटे मगर धीरे-धीरे वक्त बीतने के साथ वे इन झटकों से उबर गई और उन्हें नए साथी मिल गए। यह सब शायद इसलिए हुआ क्योंकि यही मानव स्वभाव है।
यकीनन वक्त बीतने के साथ हर घाव भर जाता है। बिछुड़े साथी की याद भी समय बीतने के साथ पुरानी पड़ जाती है और हमेशा नवीनता की तलाश में लगा इंसान नए साथी चुन लेता है। प्रेम में एक बार औंधे मुंह गिरने के बाद युवतियां क्या फिर से प्रेम कर बैठती हैं।
भावनाएं बांटने की आदत
जी हां, अमूमन ऐसा ही होता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार युवतियों को किसी व्यक्ति के साथ अपनी भावनाएं बांटने की आदत पड़ जाती है तो प्रेमी से अलगाव के बाद थोड़े समय तक तो वे अपनी भावनाएं खुद तक सीमित रखती हैं पर आदतानुसार भावनाएं बांटने के लिए वे किसी साथी की तलाश में अनजाने ही लग जाती हैं और एक बार फिर प्रेम कर बैठती हैं।
संयुक्त परिवार में पल बढ़ रही लड़कियां आसानी से प्यार कर बैठती हैं। आजकल तो प्रेम करने का बिलकुल ही नया माध्यम आ गया है। लड़के-लड़कियां इंटरनेट पर ही दोस्ती करते हैं, फिर प्यार कर बैठते हैं और कंप्यूटर की स्क्रीन पर ही एक दूसरे का दिल तोड़ डालते हैं।
दोस्ती, प्यार, आकर्षण, वासना, ये सारे शब्द आज आपस में गुंथ से गए हैं। एडस जैसी घातक बीमारी के बारे में जानने वाली किशोरी कम उम्र में ही रोग के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ सुरक्षित यौन संबंध बनाने के तरीके भी जान लेती हैं। फिर आज हर तरफ हिंसा, अराजकता, प्रतिस्पर्धा, गरीबी, बीमारी और आतंक के माहौल में प्यार से कहे गए महज दो शब्द भी किसी से आशिकी कराने के लिए काफी होते हैं। ऐसे में यदि कोई किशोरी दिल दे बैठे तो इसमें उसका क्या दोष-और उसका दिल टूट जाए तो भी उसका क्या दोष।