New Born Baby Care Tips : नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करें, जानें यहां
New Born Baby Care Tips: How to take care of the health of newborn babies

New Born Baby Care Tips : नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल निहायत ही जिम्मेदाराना काम है। नवजात शिशु अपने आप अपनी परेशानी नहीं बता सकते। अतः उनके पालक-पोषकों का फर्ज है कि वे अपने बच्चों की प्रत्येक हरकत पर निगाह रखें और उन्हें हरेक परेशानी से बचायें। बचपन में की गई विशेष निगरानी और देखभाल ही बच्चों के सुन्दर, स्वस्थ भविष्य का आधार बनती है।
नवजात शिशु को यथासंभव मां का दूध ही देना चाहिए क्योंकि प्रकृति की ओर से बच्चे को प्रदान किया गया मां का दूध ही उसके लिए सर्वोत्तम आहार होता है। अब तो चिकित्सा विज्ञानी भी मां के दूध की उपयोगिता और महत्व का बखान करने लगे हैं। अतः लगभग एक वर्ष तक के बच्चे को मां का दूध ही पिलाना चाहिए।
जब बच्चा तीन-चार महीने का हो जाए तो उसे मां के दूध के अतिरिक्त ‘सेरेलेक’ या फल आदि भी दिया जा सकता है परन्तु ध्यान रहे फलादि उसके अनुकूल ही होने चाहिएं। जब बच्चा बड़ा होने लगता है तो उसकी खुराक भी बढ़ने लगती है। ऐसे में उसे ‘पाश्चयुराइज्ड’ दूध भी दिया जा सकता है परन्तु डेरियों पर बिकने वाले खुले दूध से बचना चाहिए।

बच्चे की सफाई का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि उसकी सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाए तो इससे संक्रमण का खतरा रहता है। अतः बच्चे के मल-मूत्र विसर्जन के बाद उसकी उत्तम ढंग से सफाई की जानी चाहिए और गीले कपड़ों को भी बदल देना चाहिए। इसी प्रकार जिस कमरे में जच्चा-बच्चा हों, वहां बाहर से आए किसी भी व्यक्ति को नहीं जाने देना चाहिए क्योंकि बाहर के धूल-कण, कीटाणु, रोगाणु आदि बच्चे की संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकते हैं। इसी तरह इस स्थान पर जूते-चप्पल पहन कर जाने से भी बचना चाहिए और बच्चे को चूमना या स्पर्श करना भी स्वच्छ होने पर ही करना चाहिए।
तेज रोशनी या तेेज आवाज से बचायें (Health Care Tips)
नवजात शिशुओं को कभी भी तेज रोशनी या तेेज आवाज के संपर्क में नहीं लाना चाहिए। कई बार धूप में रखने पर सूर्य का तेज प्रकाश उनकी त्वचा या उनके नेत्रों को हानि पहुंचा सकता है। इस तरह बच्चों को बिस्तर या पालने में लिटाते समय यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि वे करवट बदलते समय नीचे न गिर पड़ें।
बच्चे को अकेला नहीं छोड़े (New Born Baby Care Tips)
बच्चे को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कई बार कोई जानवर या कीड़ा आदि उन्हें चोट पहुंचा सकता है। अतः चींटी, चूहे या कुत्ते, बिल्ली आदि से सावधान रहना चाहिए। बच्चे के रोने को कभी भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए और न ही उसके रोने को हमेशा ‘भूखा होगा’ समझना चाहिए।

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नहलाने से पहले मालिश (New Born Baby Care Tips)
बच्चे को नहलाने से पहले लगभग एक दो घंटे पूर्व उसकी मालिश भी करनी चाहिए। मालिश करने से बच्चे की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और उनका विकास भी होता है। आजकल बाजारों में ‘बेबी आॅयल’ आसानी से मिल जाता है। यह बच्चे के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। अतः सप्ताह में तीन-चार दिन बच्चे की मालिश भी करनी चाहिए।
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पाउडर लगाना चाहिए (New Born Baby Care Tips)
चूंकि नवजात शिशुओं की त्वचा बहुत कोमल होती है, इसलिए उस पर संक्रमण या क्षति बहुत आसानी से हो जाती है। बच्चों की त्वचा से संबंधित रोगों में ‘मीलिया’, ‘प्रिकली हीट’ (घमौरी या धाम), ‘मंगोल पैच’ जैसे रोग आम पाए जाते हैं। मीलिया नामक रोग में बच्चे के मुुंह पर छोटे-छोटे सफेद दाने निकल आते हैं जो कुछ समय बाद स्वयं ही ठीक भी हो जाते हैं। धाम में बच्चों की नाजुक त्वचा पर गर्मियों में छोटे-छोटे लाल दाने निकलते हैं। इसके लिए बच्चों को ठण्डे स्थान पर रखना चाहिए और नहलाने के बाद टैलकम पाउडर या धाम नाशक पाउडर लगाना चाहिए।
मंगोल पैच बच्चों की कमर या उसके निचले भाग पर नीले रंग के बड़े-बड़े दागों को कहते हैं और यह भी प्रायः हानिरहित ही होते हैं। फिर भी एक बार डाक्टर से मिलकर सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
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त्वचा संबंधी बीमारी ‘नैपी रैश (New Born Baby Care Tips)
इसी प्रकार की त्वचा संबंधी एक अन्य बीमारी ‘नैपी रैश’ होती है। जब बच्चों की त्वचा हमेशा नम या आर्द्र रहे और डायपर के अन्दर रहे तो उस भाग की त्वचा लाल दागदार और रूखी सी हो जाती है तथा उस भाग में लाल रंग के छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। ऐसे में त्वचा को खुली हवा में छोड़ कर रखना चाहिए और डायपर भी नहीं पहनाना चाहिए।
त्वचा से संबंधित किसी भी गंभीर रोग के लिए तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए और उसकी सलाह से निदान, उपचार भी करना चाहिए।
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मां-बाप बच्चे के सर्वप्रथम शिक्षक (New Born Baby Care Tips)
कहते हैं कि मां-बाप ही बच्चे के सर्वप्रथम शिक्षक होते हैं और परिवार प्रथम पाठशाला। यदि उसने अभी से स्वस्थ रहना सीख लिया है तो उम्मीद की जा सकती है कि वह आगे चलकर भी अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहेगा और एक स्वस्थ पीढ़ी का निर्माण करेगा।