Knowledge Tips : जानें आखिर बिल्लियां ऊंचाई से क्यों नहीं डरती ?
Knowledge Tips: Know why cats are not afraid of heights, Why do babies get frequent colds

वास्तव में जब छोटे जीव ऊंचाई से गिरते अथवा कूदते हैं तो वायु के माध्यम से अत्यन्त ही धीमी गति से नीचे आते हैं। कारण है प्रतिरोधता एवं गुरूत्वाकर्षण। इसी कारण बिल्लियां ऊंचाई से गिरने से कोई घातक चोट वहन नहीं करती।
हम जानते हैं कि वस्तुएं जितनी भारी और विशाल होती हैंए धरती के गुरूत्वाकर्षण बल द्वारा उतनी ही तीव्रता से नीचे की ओर खींची जाती हैं। इसके अलावा जब वस्तुओं की ऊंचाई में हृास होता है, गिरने की गति तीव्रतम होती जाती है लेकिन इसी के साथ वायु की प्रतिरोधता भी अनुपातिक क्रम में बढ़ने लगती है।
सामान्यतः शरीर का सतही आकार जितना फैला हुआ होता है, उतनी ही वायु प्रतिरोधी क्षमता होती हैए जैसे जब एक मकड़ी भी ऊंचाई से गिरती है तो बिना किसी शारीरिक क्षति के कुशलतापूर्वक नीचे उतर आती है परन्तु एक साधारण मनुष्य अधिक भारी होता है। मकड़ी के सतही आकार के अनुपात में उसका केवल 7500 वां भाग ही होता है। इस कारण मनुष्य को लगने वाली चोट कहीं घातक और प्रभावशाली होती है।
इसी प्रकार बिल्ली सतही आकार के मामले में मनुष्य की अपेक्षा मकड़ी के समकक्ष अधिक होती है। फलस्वरूप उसमें वायु प्रतिरोध क्षमता उसे किसी ऊंचाई से गिरने.कूदने पर भी किसी शारीरिक क्षति से बचा लेती है अतः बिल्लियां ऊंचाई से नहीं डरती।

पानी से बिल्लियां क्यों करती हैं नफरत…
वैसे तो कुछ जंगली बिल्लियां जैसे कि जैगुआर व टाइगर को पानी में रहना बहुत अच्छा लगता है लेकिन ज्यादातर घरेलू बिल्लियों को पानी बिल्कुल भी पसंद नहीं होता है। हालांकि यह बात लोकेशन तथा इंसुलेशन इन दोनों प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है।
अगर कोई बिल्ली ठंडी जगह पर रहने वाली है तो उसे पानी पसंद नहीं आएगा। क्योकि इन जगहों पर पाई जाने वाली बिल्लियों की खाल पर 120000 बाल पर स्क्वायर इंच पर होते हैं। आपको बता दें कि बिल्लियों का कोट तीन अलग.अलग परतों से बना हुआ होता है। बिल्ली के शरीर का पहला कोट उसके शरीर को हवा से बचाता है तथा दूसरा कोट शरीर के तापमान को बनाए रखता है तथा अंत में तीसरा कोट जो कि मोटे वालों से बना होता है वह उसके शरीर को धूप तथा अन्य चीजों से बचाता है।
बिल्ली के बाल अगर पानी से गिले हो जाते हैंए तो उन्हें सूखने में काफी समय लगता हैए साथ ही उनका फुर्तीला शरीर भी सुस्त हो जाता हैए जिससे ये शिकार नहीं कर पाती। यही वजह है कि घरेलू बिल्लियां पानी से नफरत करती हैं।

शिशुओं को युवाओं की अपेक्षा सर्दी जुकाम बार-बार क्यों होता है?
अक्सर यह देखा जाता है कि नन्हें शिशुओं विशेषकर 2-3 वर्ष के आयु वालो को एक वर्ष में लगभग 10 से 12 बार जुकाम होता है और नाक बहती रहती है जबकि युवाओं और प्रौढ़ावस्था वाले लोगों को अधिक से अधिक दो-तीन बार ही सर्दी-खांसी होती है।
हम जानते हैं कि जुकाम किसी एक कीटाणु के संक्रमण के बजाय 200 के लगभग कीटाणुओं के सामूहिक आक्रमण के फलस्वरूप होता है। तब नाक और गले की संधि करनेवाली झिल्लीदार नासिकातंत्रा में कफ (श्लेष्मा) और बलगम बनना शुरू हो जाता है। नाक बहने लगती है और गले में पीड़ा के साथ सिर में दर्द होने लगता है।
ज्यों-ज्यों हमारी उम्र बढ़ती है, हम इन भिन्न तरह के कीटाणुओं से प्रतिरक्षा की क्षमता स्वयं विकसित कर लेते हैं, अतः जिन कीटाणुओं ने हमें पहले संक्रमित किया था, वह पुनः ऐसा कर पाने में असमर्थ होते हैं, यद्यपि कुछ और नए कीटाणुओं के आक्रमण से हमें जुकाम होता है, परन्तु उतनी बार नहीं।
कीटाणुओं का सामना
शिशुओं को अनेकों बार इन कीटाणुओं का सामना करना पड़ता है, और प्रत्येक बार कीटाणु उनके शरीर के लिए नए होते हैं अर्थात् जिस प्रकार अधिक आयु वाले लोगों का शरीर इन कीटाणुओं से परिचित हो जाता है और जिस कारण वह इनसे अपनी प्रतिरक्षा कर लेते हैं, शिशु ऐसा नहीं कर पाते।
हालांकि यह बात भी सच है कि, उनका शरीर भी आक्रमण से कालांतर में परिचित होता जाता है और वह भी प्रतिरोध करना सीखते रहते हैं।