Health Tips : जानें एनीमिया के लक्षण-उपचार और महिलाएं क्यों हो जाती है इसकी शिकार
Health Tips: Know the symptoms and treatment of anemia and why women become victims of it.
Health Tips : एनीमिया (Anemia) भारतीय महिलाओं की आम बीमारी है। यहां कुपोषण आम बात है। कुपोषण महिलाओं की संस्कृति में रचा-बसा है। परिवार की महिला सदस्य पुरूष प्रधान समाज के चलते सभी पुरूष सदस्यों एवं बच्चों के खाने के उपरान्त बचे-खुचे भोजन को ग्रहण कर तृप्त हो जाती है। यह न तो उसके लिए पर्याप्त होता है और न आवश्यकता के अनुरूप पौष्टिक होता है।
खानपान के बाद दूसरी स्थिति महिलाओं की शारीरिक रचना एवं जीवन चक्र की होती है। मासिक स्राव, गर्भावस्था एवं प्रसव या आपरेशन की स्थिति में बहुत अधिक रक्त उसके शरीर से बाहर निकल जाता है। यह सब उसे अनीमिया या रक्त की कमी का शिकार बनाता है।
एनीमिया के तीन प्रमुख कारण सामने आते हैं। खून का बहना या दुर्घटना, आपात स्थिति में आपरेशन या स्त्रिायोथित शारीरिक क्रियाओं को निष्पादित करने के कारण होता है। द्वितीय कारण लाल रक्त कणिका का तेजी से क्षय होना एवं तृतीय कारण इसके निर्माण की गति का धीमा होना है।
लाल रक्त कणिका को सामान्यतया खून कहा जाता है क्योंकि यह खून का मुख्य घटक है। किसी भी आयु, वर्ग एवं शारीरिक बनावट की महिला अनीमिया की शिकार हो सकती है। अनीमिया अर्थात् खून की कमी का पता रक्त जांच से ही चल पाता है।
Anemia के लक्षण (Health Tips)
एनीमिया पीड़ित महिला को सुस्ती, सिर में दर्द, छाती में दर्द, त्वचा में पीलापन, शरीर का ठंडा रहना, मामूली कामकाज से थकान, शारीरिक शक्ति में कमी, हांफना, छोटी-छोटी सांस लेना, दिल की धड़कन का अनियमित होना आदि जैसे शारीरिक लक्षणों से गुजरना पड़ता है।
खतरा (Health Tips)
खून की कमी होने पर हृदय को अधिक काम करना पड़ता है। हृदय यह कार्य पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन प्राप्त करने के लिए करता है। खून की कमी से हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। हृदयाघात का खतरा रहता है। रक्त की कमी से ही शरीर के कई अंग अपनी पूर्ण क्षमता के साथ काम नहीं कर पाते। यह शरीर को अक्षम बना देता है। शारीरिक विकास की गति थम जाती है। जीवन-काल कम हो जाता है। स्त्रियों की सभी शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं। गर्भस्थ शिशु का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो पाता। किसी भी समय कष्टप्रद गर्भपात भी हो सकता है।
जांच व निदान (Health Tips)
बाह्य लक्षण पर्याप्त व पुष्टिकारक नहीं होते। रक्त की प्रयोगशाला में जांच ही एक मात्रा सटीक उपाय है। निदानकर्ता चिकित्सक पीड़िता के पारिवारिक इतिहास की पूछताछ, शरीर की पूर्ण जांच कर कंपलीट ब्लड टेस्ट करता है। यह स्त्रिायों में 11 से 15 एवं पुरूषों में 14 से 18 होना चाहिए। यदि उक्त जांच से आया परिणाम इससे कम हो, तब अनीमिया पीड़ित मानकर उपचार आरंभ किया जाता है।
उपयुक्त खानपान (Health Tips)
यदि कंपलीट ब्लड काउंट की मात्रा निर्धारित से कम होकर खतरनाक स्तर तक गिर जाए, तब आपात स्थिति में बचाव के लिए रक्त समूह की पर्याप्त जांचकर दूसरे का रक्त उसे चढ़ाकर तात्कालिक राहत दिलाई जाती है। यदि रोगी के पास खान-पान के माध्यम से रक्त की कमी की पूर्ति करने का समय हो, तब दवा देकर साथ में उपयुक्त खानपान की सलाह दी जाती है। हमारे दैनिक खानपान में बहुत सी ऐसी वस्तुएं हैं जिनका सेवन रक्त बनाने एवं उसकी निर्धारित मात्रा को बढ़ाने में सहायक होता है।
रक्त वृद्धि (Health Tips-Blood Increase)
हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में आयरन, विटामिन सी एवं बी-12 प्रमुख व सहायक घटक हैं। वह हरी सब्जियों, पालक, मेथी, चैलाई आदि सभी भाजियों में, मटर, मूंगफली, मसूर, सभी फलियों, बादाम, किशमिश, अंडा, मांस, मछली आदि में होता है। लाल व बैंगनी रंग के फल-फूल एवं सब्जियों में आयरन की मात्रा होती है।
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रक्त नवनिर्माण में सहायक (Health Tips-Blood Increase)
रक्त नवनिर्माण में सहायक द्वितीय मुख्य घटक विटामिन सी है। यह शरीर को आयरन के अवशोषण में सहायता करता है। विटामिन सी सभी रसदार फलों नींबू, मौसमी, संतरा, आम, स्ट्राबेरी, तरबूज, खरबूज, अमरूद, आंवला कीवी आदि में पाया जाता है। हरी सब्जी, टमाटर, गोभी, आलू आदि में भी मिलता है। विटामिन बी-12 एवं मल्टी विटामिन – अंकुरित अनाज, दलहन में पाया जाता है। यह भी रक्त निर्माण क्रिया में सहायक है।
फोलेट (Health Tips-Blood Increase)
यह चावल, केला, संतरा, बे्रड, अंडा, मांस एवं सूखी फलियों में पाया जाता है। बताए गए सभी खाद्य पदार्थ रक्त नवनिर्माण की प्रक्रिया में अत्यंत सहायक हैं। इसमें जो भी सरलता से मिले, उपयुक्त मात्रा में सेवन करना चाहिये। दवा भी रक्त निर्माण में सहायक है किंतु शरीर खाद्य पदार्थों के पौष्टिक तत्वों को सरलता से स्वीकार लेता है जबकि दवाओं को कभी-कभी शरीर अस्वीकार कर देता है और लाभ के बजाय हानि होती है।
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विशेष
एनीमिया की स्थिति और कई कारणों से शरीर में आती है। रक्त स्राव, आर.बी.सी (लाल रक्त कणिका) के निर्माण में कमी एवं इसकी अल्प आयु भी अनीमिया का कारण है, साथ ही कैंसर, घाव, एच.आई.वी. थैलीसिमिया, किडनी की खराबी संक्रमण, दवाओं का प्रभाव, रेडिएशन आदि से भी यह स्थिति आती है। फल-फूल साग-सब्जी का किसी भी रूप में पर्याप्त सेवन शरीर में रक्त नवनिर्माण की स्वाभाविक गति लाता है एवं रक्त बढ़ाता है।