Diwali Special : अमर ज्योति पर्व से लें प्रकाश

Diwali Special : Take light from Amar Jyoti Parv

Diwali Special : Take light from Amar Jyoti Parv
Diwali Special : Take light from Amar Jyoti Parv

Diwali Special : 12 नवंबर को ज्योति-पर्व है। भारत की समस्त धरती पर दीपों का मेला लगेगा है। गांवए कस्बेए शहर प्रकाश के साथ मानव.मन का उल्लास बिखरेगा। दीपोत्सव हमारा सांस्कृतिक पर्व (Deepotsav our cultural festival) है। पावस ऋतु के उपरांत विजयादशमी और उसके कुछ ही दिन बादए यह ज्योति.पर्व आता हैए संघर्षों पर मानव.विजय का प्रतीक बनकर।

भारतीय जीवन की उल्लासमयी भावना के सच्चे प्रतीक दीपोत्सव (Festival of Lights) को भारतीयता का प्रतिनिधि राष्ट्रीय पर्व मान लिया जाय तो कोई अतिशयोक्ति न होगी क्योंकि इस उज्जवल प्रकाश के शुभ उत्सव के साथ न जाने कितनी लोक कथाओं की मालायें, ऐतिहासिक घटनाओं की लड़ियां तथा विविध धर्मों व महापुरूषों की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं।

परम दानी दैत्येन्द्र बालि का महादान, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान रामचन्द्र का राज्याभिषेकोत्सव, जितेन्द्रिय हनुमान का जन्म-दिन, परमहंस स्वामी रामकृष्ण की ब्रह्मलीनता, आयुर्वेद के आचार्य धन्वन्तरि का आविर्भाव, स्वामी दयानंद का निर्वाण, भगवान महावीर का महाप्रयाण, धर्मराज की संतुष्टि, पितृगणों की अनुकम्पा, नवीन अन्न का आगमन (नवान्न ग्रहण), प्रकृति प्रत्यावर्तन, व्यापारिक वर्ष का प्रारंभिक दिन आदि कितनी ही घटनाओं तथा विशेषताओं का सूचक यह उत्सव है।

दीपों उज्जवल ज्योति (Diwali 2023)

भारत का कोना-कोना पाप पर, कलुषता पर पुण्य की विजय की इस संध्या को वर्ष-भर के पश्चात आज फिर चिर नूतन स्मृतियों के टिमटिमाते दीपकों की पंक्तियों से आलोकित हो रहा है परंतु इन प्रकाश-दीपों की यह उज्जवल ज्योति देखकर हमें एक बार सहसा ध्यान हो आता है इस विस्तृत अंधकार, पाप तथा कलुषता का जो वर्तमान स्वतंत्र भारत में भी हमारे पथ पर बिखरी है, वह है रिश्वतखोरी, बेईमानी, भ्रष्टाचार व हिंसा।

चूंकि दीपोत्सव भारत का सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पर्व है, इसलिए हम समस्त भारतवासियों को चाहिए कि अपनी संस्कृति को भूलकर इंसान से जो हैवान हो रहे हैं, वे इस ज्योति पर्व से प्रकाश लेकर सच्चे मानव बनें।

हमारे प्राचीन भारत में देवता भी जन्म लेने को तरसते थे। चारों ओर सुख व शांति का अखंड साम्राज्य था परंतु आज हमारे में यह हृदय विदारक परिवर्तन कैसा? आज भारत के नागरिकों के पतन को देखकर शैतान भी परेशान हैं।

Diwali Special : अमर ज्योति पर्व से लें प्रकाश

आज भारतवासी क्यों अपनी संस्कृति, सभ्यता व धर्म को भूलकर इंसान से हैवान हो रहे हैं? आज भारत मां के लाल क्यों बेकारी की समस्या में पड़े हैं? आज क्यों देश में हिंसकों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है? आज क्यों आतंकवाद की समस्या देश के सामने विकराल रूप से मुंह बाये खड़ी है? वह भी एक ऐसी समस्या है जिसका निराकरण करने में बड़े-बड़े मंत्रियों, अर्थशास्त्रिायों तथा राजनीतिज्ञों की बुद्धि चकरा रही है।

इतिहास पर विहंगम दृष्टि डालने से ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में हमारे देश में घी-दूध की नदियां बहती थी।

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इस कथन का यह तात्पर्य नहीं कि सड़कों और नदियों में घी-दूध बेकार बहता था। आशय इतना ही है कि भोजन और जीवन की अन्य वस्तुएं पर्याप्त मात्रा में सभी को प्राप्त थी। गृहस्थ लोग अतिथियों को आजकल की तरह चाय, पानी या बीड़ी, तम्बाकू नहीं पिलाते थे अपितु दूध तथा अन्य पौष्टिक पदार्थ उनके समक्ष प्रस्तुत करते थे किंतु वर्तमान काल में हमारे देश की क्या दशा हो रही है?

Diwali Special : Take light from Amar Jyoti Parv
Diwali Special : Take light from Amar Jyoti Parv

निर्धनता का ताण्डव (Diwali)

जब हम इस प्रश्न पर विचार करते हैं तो हमारा हृदय क्रन्दन नाद कर उठता है। यहां निर्धनता का ताण्डव नृत्य हो रहा है। आज हमारे भारत में लाखों व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त पेट-भर खाने को भोजन भी नहीं मिलता। आज तो यह हालत है कि लोगों को अधिक से अधिक धोखा देकर खराब से खराब माल को ज्यादा मूल्यों में बेचना ही व्यापार की सफलता मानी जाती है। आज के भारतवासी के क्या विचार हैं-दुनिया ठगनी मक्कर से, रोटी खानी शक्कर से अर्थात् हो जब पाॅकिट गरम, तो निभ जाए दुनिया के सब करम।

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पाप की कमाई, कमाई नहीं गमाई है (Diwali)

इन्हीं गंदे विचारों के कारण ही जहां देखो वहां रिश्वतखोरी, हिंसा, भ्रष्टाचार, अत्याचार, डाकेजनी, मेल मिलावट इत्यादि घृणित उपायों से भारतवासी धन कमाते दिखाई देते हैं। यथार्थ में यह पाप की कमाई, कमाई नहीं गमाई है आमद नहीं आफत है, पूंजी नहीं पलीता है, माया नहीं मौत है, धन नहीं धमाका है, नोट नहीं चोट है, रूपया नहीं अग्रि के अंगारे हैं। इन पाप की कमाई खानेे वालों को राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त के निम्र लिखित शब्द याद रखने चाहिए-

क्या पाप का धन भी किसी का दूर करता कष्ट है
उस पाप कत्र्ता के सहित ही शीघ्र होता नष्ट है।।

Diwali Special : अमर ज्योति पर्व से लें प्रकाश

परिश्रम करें आयेगी महालक्ष्मी (Diwali)

मनुष्य को पूर्ण अधिकार है कि वह धनोपार्जन करे लेकिन अपने कार्य को पूर्ण परिश्रम से कर फिर उसका उचित धन प्राप्त करें। उन्हें चाहिए कि वे अपने व्यापार से हक का ही कमावें। महालक्ष्मी उन्हीं के पास आती है जो परिश्रम, सच्चाई व सदाचार से पैसा कमाते हैं परंतु इस कल्याणकारी अमृतोपदेश को भूलकर आज पैसे के लिए क्या व्यापारी, क्या मंत्री, क्या ऑफिसर, क्या डाॅक्टर, क्या वकील और क्या ठेकेदार सभी नीयत बिगाड़ कर, बेईमानी द्वारा सत्य को असत्य और न्याय को अन्याय सिद्ध करके, सीधे-सादे मनुष्यों को ठगकर धन प्राप्त करते नहीं लजाते।

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ऐतिहासिक, राष्ट्रीय पर्व पर लें प्रतिज्ञा (Diwali 2023)

इस वर्ष दीपमालिका के प्रकाश से न केवल घर-घर के अंधकार को ही दूर करना है, वरन् देशव्यापी इस अंधकार को भी दूर करना है। इस स्वतंत्रता के युग में यदि हम मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के रामराज्य को पुनः स्थापित करना चाहते हैं तो सबको आज इस पावन, ऐतिहासिक, राष्ट्रीय पर्व पर यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम अपनी नैतिकता को सदा सुरक्षित रखेंगे और देश की खुशहाली के लिए दुष्ट वृत्तियों को तिलांजलि दे देंगे।

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R. Singh

Name: Rina Singh Gender: Female Years Of Experience: 5 Years Field Of Expertise: Politics, Culture, Rural Issues, Current Affairs, Health, ETC Qualification: Diploma In Journalism

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