Compromise Tips : सीखें समझौता करना
बिना समझौते किए क्या जीवन जिया जा सकता है?
Compromise Tips : ‘समझौता गमों से कर लो….‘ दूर कहीं यह गीत बज रहा है। कई फिल्मी गाने भी कितने यथार्थवादी होते हैं। जीवन की सच्चाइयों को रेखांकित करते हैं। कितनी सही सच्ची व्यवहारिक सलाह है इस पंक्ति में। समझौता जीवन का आधार है।
जीवन में पग पग पर हमें समझौते ही तो करने पड़ते हैं। समझौते का ही दूसरा नाम जिन्दगी है। बिना समझौते किए क्या जीवन जिया जा सकता है भला। जो जीवन में समझौते करने की प्रवृत्ति नहीं अपनाते, आदत नहीं डालते, वे हर कदम पर परेशान होते हैं, कष्ट उठाते हैं।
कहते हैं कि मुंहमांगी तो मौत भी नहीं मिलती। जीवन में सब कुछ मनचाहा मिल जाए, ऐसा तो कम ही होता है। जब मनचाहा नहीं होता, तब समझौता तो करना ही पड़ता है। समझौते केवल व्यक्ति ही नहीं करता। समाज, संस्थान, यहां तक कि सरकारें भी आए दिन समझौते करती रहती हैं।
लड़ाइयों का अंत भी Compromise के माध्यम से
सोच कर देखिए, आखिर किसी झगड़े का निपटारा, मतभेद का समाधान अथवा विवाद का अंत सिवाय समझौते के और किस प्रकार संभव है। और तो और, राष्ट्रों के बीच लड़ाइयों का अंत भी समझौते के माध्यम से ही होता है। राष्ट्रसंघ विश्व स्तर पर एक समझौता कराने वाली संस्था ही तो है।
करना तो Compromise ही पड़ेगा
बच्चे के दाखिले के लिए सब से अच्छे स्कूल में प्रयास करते हैं। हर प्रकार से प्रयत्न करते हैं, फिर भी वहां प्रवेश नहीं मिल पाता तो निराश और हताश हो कर बैठ तो नहीं जाते। सैकिण्ड बैस्ट ही सही। समझौता ही तो है। बेटी को डाक्टर बनाने का सपना उसके जन्म से ही पाले हुए हैं, बेटी की रुचि डाक्टरी पढ़ने में है ही नहीं। वह मैनेजमैंट का कोर्स करने पर तुली हुई है। क्या करेंगे। जोर जबरदस्ती तो चल नहीं सकती, खुशी से करें या दुखी हो कर, करना तो समझौता ही पड़ेगा।
जीवन की सच्चाई है समझौता (Compromise Tips)
जो जितना जल्दी जीवन की इस सच्चाई को स्वीकार कर लेते हैं। स्वयं को मानसिक रुप से वैसा ढाल लेते हैं, सुखी रहते हैं। जो समझौते करने से कतराते हैं, अपनी बात पर अड़े रहते हैं, परेशान होते हैं, तकलीफ उठाते हैं। थक हार कर अंत में अपनाना तो उन्हें भी समझौते का रास्ता ही पड़ता है।
कई समस्याओं का अंत है Compromise
कर्मचारी की मांगों की ही बात लें। कलम-बंदी, पेन-डाउन स्ट्राइक, नारे, पोस्टर, धरना, हड़ताल, जलूस, सब का अंत किस में होता है, समझौते में ही न। अब तो सरकारें आतंकवाद में लिप्त, राह से भटक गए युवकों से भी समझौते करने को तैयार हो जाती हैं। ऐसी समस्याओं का और कोई अंत हो भी तो नहीं सकता।
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पुत्रा की कामना किसे नहीं होती। स्वाभाविक है, आप को भी है, किन्तु एक बेटी हुई, दूसरी भी बेटी हुई, क्या करेंगे। प्रकृति से लड़ तो नहीं सकते। या पुत्र की लालसा में परिवार बढ़ाते जाएं या फिर स्थिति से समझौता कर लें।
जीवन सुख-दुख का संगम
जीवन में केवल सुख ही सुख नहीं होते, सुख-दुख के संगम का, मिले-जुले रुप का नाम ही जीवन है। जीवन में निराशाएं भी आती हैं, सदमे भी, खुशियां और बहारों के साथ गम और पतझड़ भी आते हैं।
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ऐसे में समझौते की आवश्यकता होती है वरना निराशा और हताशा हावी हो जाएगी। आखिर आत्महत्या करके स्वयं अपने हाथों ईश्वर के दिए इस अनमोल जीवन का अंत कर लेने वाले कौन होते हैं। वही जो जीवन के कड़वे-मीठे अनुभवों से समझौते नहीं कर पाते। सुखी दांपत्य जीवन का तो मूल आधार ही समझौता है।
जीवन में समझौते का महत्व (Compromise Tips)
आवश्यक है कि हम जीवन में समझौते के महत्व को, इसकी उपयोगिता और अपरिहार्यता को समझ लें, यथाशीघ्र समझ लें तो बहुत सी अनावश्यक कठिनाइयों, टकराव, परेशानियों से बच जाएंगे। जीवन सुगम और सरस हो जाएगा।
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