Best Tips for Long Life : दीर्घायु पाने के 10 बेहतरीन टिप्स
Long Life: 10 best tips to achieve longevity

Best Tips for Long Life : मनुष्य मात्र लंबी आयु की कामना ही नहीं करता अपितु अनेक प्रकार के यत्न भी करता है। दुनिया में आए हर व्यक्ति का गिरेबान पकड़ उसे अपने साथ मृत्यु वो है जो ले जाती है। ऐसा कोई एक आदमी नहीं है जिसने मृत्यु का सामना न किया हो और न ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे कभी मृत्यु आएगी नहीं।
अनेक यत्नों पर आधारित सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के अनुसार नीचे दिए गए उपाय अपना कर लंबी आयु प्राप्त की जा सकती है। आईये जानते हैं कैसे….
(1) स्वच्छता का सदा ध्यान रखें। स्वच्छ वायु, स्वच्छ भोजन, स्वच्छ कपड़े स्वच्छ शरीर व स्वच्छ वातावरण बनाए रखें।
(2) लंबी व स्वाभाविक सांस लें। यदि सोते समय खर्राटे लेेते हों तो किंचित शर्म न करें।
(3) भावनाओं का दमन कदापि न करें। पहले तो क्रोध करें ही नहीं और यदि क्रोध आता भी है तो उसे चीखकर चिल्लाकर निकाल दें अन्यथा दबा क्रोध अनेक बीमारियों को जन्म दे सकता है। इसी प्रकार यदि आप खुश हों तो अपनी खुशियों को खुलकर प्रकट करें।

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(4) घर में स्वच्छ वायु प्रवेश का प्रबंध होना चाहिए। कभी भी बंद कमरे में न सोएं।
(5) शरीर के अवयवों की नियमित सफाई करें। दो बार मल विसर्जित करें। दांत सुबह व रात्रि को साफ करना न भूलें। सप्ताह में एक बार उपवास अवश्य करें।
(6) भूख से अधिक भोजन करना हानिकारक है। ज्यादा खाने से मोटापा बढ़ता है। पाचन क्रिया खराब हो जाती हैं।
(7) हर अंग को अपना नियत कार्य करने दें। दांतों से ही भोजन अच्छी तरह चबाएं। नाक सांस लेने के लिए ही है। मुंह से सांस कतई न लें। जिस अंग के लिए जो कार्य निर्धारित हैं उससे वहीं करें।

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(8) शरीर को आराम भी दें। चलते वक्त सीधे रहें। हमेशा तनकर ही बैठें। अनावश्यक झुकाव न दें।
(9) स्वादिष्ट चीजों के उपयोग से बचें। मिर्च मसाले न के बराबर खाएं। जहरीले पदार्थ व दवाइयों से दूरी रखें।
(10) क्षमता अनुसार ही कार्य करें। थकान होने पर रूक जाएं। थकान दूर करके ही पुनः काम प्रारंभ कीजिए। क्षमता के अनुसार ही जागें। विश्राम भी नियत समय के अनुसार ही करें।
जल और उपवास: अच्छी सेहत के राज (Secrets of Good Health)
- शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता है जो पसीने तथा मल-मूत्रा के रूप में निकलता रहता है। शरीर में जल का संतुलन बनाए रखने के लिए पानी पीना अति आवश्यक होता है। पानी का हमारे पेट को साफ रखने में महत्वपूर्ण रोल है।
- जल हमेशा स्वच्छ पियें। कभी भी लेटकर या खड़े होकर पानी का सेवन न करें।
- ग्रीष्म ऋतु में खूब जल का सेवन करें क्योंकि ग्रीष्म ऋतु में जल पसीने के रूप में अधिक बाहर निकलता है। सर्दी में आवश्यकता अनुसार पानी पिएं और बरसात में पानी का सेवन कुछ कम करें।
- मधुमेह रोगी अधिक पानी पिएं क्योंकि शरीर के भीतर एकत्रित शक्कर पसीने और पेशाब के रास्ते से बाहर निकलती है।

- पीलिया रोगियों को भी दिन में बारह से पंद्रह गिलास पानी पीना चाहिए जिससे पेशाब के रास्ते से शरीर का गंद बाहर निकलता रहे।
- भरपेट पानी पीने के एकदम बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
- मोटे लोगों को पानी काफी मात्रा में पीना चाहिए। पानी मोटापा कम करने में सहायक होता है। खूब सारा पानी पीने से गुर्दे की सफाई होती रहती है जिससे मूत्रा संबंधी रोग और यूरिन इन्फेक्शन नहीं होता।
- शरीर के दूषित पदार्थो को निकालने के लिए मूत्रा ही प्रकृति का एक मुख्य द्वार है, इसलिए पानी का अधिक सेवन करने से शरीर के विष उस रास्ते से मूत्रा के रूप में बाहर निकलते रहते हैं।
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- जब शरीर थक जाता है तो आराम की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार पेट को भी आराम की आवश्यकता होती है यह आराम पेट को हम उपवास रखकर दे सकते हैं। उपवास रखने के बाद आंतों की शक्ति बढ़ती है।
- इसी प्रकार उपवासों में नींबू के रस के साथ पानी ग्रहण करते रहना चाहिए जिससे शरीर के विष घुलते रहें।
- उपवास तोड़ने के समय गरिष्ठ भोजन न लें। इससे पेट की आंतड़ियों को आराम की जगह तकलीफ होगी। ऐसे में कुछ तरल पदार्थ लें जैसे पानी, दूध या जूस आदि।