Adventure Story : अघोरी बाबा का प्रसाद-रहस्य रोमांच
Adventure Story in Hindi

Adventure Story : इस धरती पर एक से बढ़कर एक विलक्षण साधक सदा से होते आये हैं, होते हैं और होते रहेंगे। जरूरत है बस तलाश करने की। साधना की एक रहस्यमयी शाखा है अघोरपंथ। उनका अपना विधान है, अपनी अलग विधि है, अपना अलग अंदाज है जीवन को जीने का।
अघोरपंथी साधक अघोरी कहलाते हैं। खाने-पीने में किसी तरह का कोई परहेज नहीं, रोटी मिले रोटी खा लें, खीर मिले खीर खा लें, बकरा मिले तो बकरा, और मानव शव यहां तक कि सड़ते पशु का शव भी बिना किसी वितृष्णा के खा लें। अघोरपंथ में शायद श्मशान साधना का विशेष महत्व है, इसीलिए अघोरी शमशान वास करना ही पंसद करते हैं। श्मशान में साधना करना शीघ्र ही फलदायक होता है। श्मशान में साधारण मानव जाता ही नहीं, इसीलिए साधना में विध्न पड़ने का कोई प्रश्न नहीं।
अघोरियों के बारे में मान्यता (Adventure Story)
अघोरियों के बारे में मान्यता है कि बड़े ही जिद्दी होते हैं, अगर किसी से कुछ मागेंगे, तो लेकर ही जायेंगे। क्रोधित हो जायेंगे तो अपना तांडव दिखाये बिना जायेंगे नहीं। मेरी अपनी मान्यता है कि यदि आप कभी अघोरी साधक से मिल लिये तो भाग्यशाली, नहीं मिले तो परम भाग्यशाली-बवाल से बच गये। मुझे तो जीवन में कई बार इन साधकों का सामना करना पड़ गया। हर बार नितांत नया अनुभव।
पहला अनुभव तब हुआ, जब छोटा था मैं। राजघाट नरौरा जहां आजकल परमाणु बिजलीघर है, वहां पावर हाउस का काम प्रारंभ हो गया था। जगह-जगह बुलडोजर चल रहे थे। गंगा के किनारे ऊंचे ऊंचे रेतीले टीलों को समतल किया जा रहा था। लाल इमली के ऊंचे ऊंचे पेड़ों से घिरा स्थान था। गंगा का साफ चमकता बहता जल, पक्के घाट पर स्नान करते यात्राी और दूर-दूर तक काम में लगे मजदूर।
पूज्य पिता,उनके एक मित्रा और मैं पता नहीं था कि ये लोग किस तलाश में भटक रहे थे? अचानक एक ऊंचे टीले पर एक झोपड़ी नजर आई। पिता-उनके मित्र और साथ का बालक, सब के सब झोंपड़ी तक पहुंच गये।
अन्दर झोंपड़ी का दृश्य देखकर ठिठक गये। झोंपड़ी के अन्दर एक साधु महाराज, ध्यान मग्न थे। धूनी जल रही थी, त्रिशूल लगा था और झोंपड़ी में चारों ओर नर मुंड लटक रहे थे। अजीब सा रहस्यमय डरावना वातावरण था। दूर-दूर तक सन्नाटा। कोई भी मानव और नहीं नजर आता था।
लाल लाल अंगारे जैसी आंखें (Adventure Story)
साधु महाराज ने आंखें खोलीं, लाल लाल अंगारे जैसी आंखें आज तक याद हैं मुझको। साधु ने गम्भीर स्वर में कहा – ’क्यों भटक रहे हो? अंदर आ जाओ।‘ सबने प्रणाम किया, वहीं धरती पर बैठ गये पिता-उनके मित्र तो महाराज से बात करते रहे और बालक उत्सुकतावश झोंपड़ी से बाहर आकर गंगा मां का बहता जल देखने लगा। टीले के ऊपर से गंगा मां और जंगल मनोरम दृश्य था।
पिता ने आवाज दी और बालक अंदर झोंपड़ी में चला आया। साधु ने बड़े ही स्नेह से पूछा-’बेटा क्या खायेगा, भूख लगी है।‘ बच्चे ने कुछ जवाब नहीं दिया तो साधु महाराज स्वतः कह उठे-’अच्छा तो ले, ताजा कलाकंद खा ले।‘ कहकर साधु महाराज ने उस जलती धूनी की राख में अपना हाथ डाला। हाथ बाहर आया तो उसमें हलवाई की दुकान का दोना, दोने में रखी मिठाई-एकदम ताजी। साथ के बड़े लोग हैरान लेकिन बालक को क्या पता, क्या चक्कर है? बालक मिठाई खाता न था, अच्छी नहीं लगती थी, इसलिए मना कर दिया।
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महाराज हंस पड़े – ’अच्छा मिठाई अच्छी नहीं लगती, तो बोल क्या खायेगा।‘ बालक फिर शांत रहा, महाराज ने ऊपर आकाश की ओर देखा, किसी अज्ञात शक्ति से पूछा-अरे तूं ही बता, इस बालक को क्या अच्छा लगता है।‘ कुछ क्षण बाद ही बाबा कह उठे- ’अच्छा, इसे तो अनार पसन्द है, तो जा अनार लाकर दे। बढ़िया कंधारी अनार लाना, एकदम लाल।‘
अनार के टुकड़े (Adventure Story)
कुछ क्षण बाद बाबा ने फिर अपनी धूनी में हाथ डाला और एकदम बढ़िया कंधारी अनार निकालकर, बालक की ओर बढ़ा दिया। अपना त्रिशूल उठाया, अनार के टुकड़े किये, एक टुकड़ा धूनी में डाला, बाकी बालक को दे दिया। हां, पहले लायी गई मिठाई भी धूनी में ही डाल दी। पूरी झोंपड़ी में मिठाई जलने की गंध फैल गई।
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जंगली जानवरों का खतरा (Adventure Story)
कमाल यह रहा कि अनार खाने के लिए मात्र बालक को, मुझे ही दिया गया। साथ के बड़ों से कह दिया – ’तुम्हारे लिए कुछ नहीं है, बच्चा भूखा था, इसे खिला दिया। अब यहां से निकल जाओ। शाम हो रही है, जंगली जानवरों का खतरा है।‘
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सब लोग वापस आ गये। आज सोचता हंू कि उस साधक के पास कौन सी शक्ति थी जो झोंपड़ी में बैठे-बैठे यह खाद्य वस्तु मंगा लेता था? आखिर क्या रहस्य था उस साधक की साधना में? आडंबर तो था नहीं उस साधक की साधना में। आंडबर करता तो उस निर्जन स्थान पर अकेला क्यों रहता? प्रणाम उस महासाधक को